वायरल फीवर को न समझें कमजोर, हो सकता हे जानलेवा, आपके अंदर दिखें ये लक्षण तो तत्काल कराएं उपचार





ग़ाज़ीपुर। मौसम के बदलने से वायरल फीवर व अन्य संक्रमित बीमारी बढ़ने लगती हैं, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होने लगती है। इसी को देखते हुये स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों को पूरी तरह से अलर्ट कर दिया है। इन दिनों जनपद में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसकी रोकथाम, जांच व इलाज को लेकर विभाग अलर्ट मोड में है। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ राजेश सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में जिला अस्पताल में औसतन करीब 800 ओपीडी प्रतिदिन होती है, जिसमें 30 से 35 फ़ीसदी फीवर के मरीजों की संख्या है। जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ स्वतंत्र सिंह ने बताया कि बारिश का मौसम समाप्त होने के बाद से जनपद में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी हो गई है। प्रतिदिन उनके द्वारा फीवर के करीब 50 से 60 मरीज देखे जा रहे हैं। जिनका पहले ब्लड टेस्ट करवाया जा रहा है और फिर आए हुए जांच रिपोर्ट के आधार पर मरीजों को निशुल्क दवा जिला अस्पताल से उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस तरह का फीवर आने पर खत्म होने में कम से कम 10 से 12 दिन लग रहा है। उन्होंने बताया कि वायरल फीवर से बचने के लिए लोगों को रुमाल का इस्तेमाल लगातार करना चाहिए, इसके अलावा तौलिया अलग करें और ठंडी चीज खाने या पीने से बचें। साथ ही मास्क जा प्रयोग करें, क्योकि मास्क का प्रयोग नहीं करने की वजह से यह फीवर बढ़ रहा है और लोग इसके चपेट में आ रहे है। डॉ स्वतंत्र सिंह ने बताया कि मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार होता है। वायरल बुखार हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाते हैं। आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है। वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है। लेकिन इसके अलावा भी और कारण होते हैं,जिनसे बुखार आता है। बताया कि दूषित जल एवं भोजन का सेवन, प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, वायरल बुखार हुए रोगी के साथ रहना आदि इसके प्रमुख कारण हैं। एसीएमओ डॉ केके वर्मा ने बताया कि वायरल फीवर के लक्षण सामान्य रूप से होने वाले बुखार की तरह ही होता है। लेकिन इसको नजरंदाज करने से अवस्था गंभीर हो सकती है। क्योंकि इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना रहती है। यह हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है, यह बरसात के मौसम में ज्यादा होता है। वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में यह अधिक देखा जाता है। मौसम में बदलाव आने के कारण बच्चों में वायरल बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में बच्चों में थकावट, खाँसी, जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण देखने को मिलते है और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। इसके अलावा थकान, पूरे शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान बढ़ना, खाँसी, जोड़ो में दर्द, दस्त, त्वचा के ऊपर रैशेज होना, सर्दी लगना, गले में दर्द, सिर दर्द, आँखों में लाली तथा जलन रहना, उल्टी और दस्त का होना आदि इसके लक्षण हैं।



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