प्रचंड जीत के बावजूद 2017 की तरह 2019 में भी जश्न नहीं मना सके भाजपा व गठबंधन के लोग





सैदपुर। लोकसभा चुनाव सकुशल बीत गया। 2019 में भाजपा ने एक बार फिर से प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई लेकिन लेकिन एक बार फिर से 2017 के विधानसभा चुनावों की तरह सैदपुर इस प्रचंड जीत का जश्न नहीं मना पाया। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पूरे देश में बेमिसाल प्रदर्शन करते हुए 2014 के मोदी लहर से भी ज्यादा 303 व भाजपा अगुवाई वाली एनडीए ने 350 के पार सीट हासिल कर अपना ही रिकार्ड ध्वस्त कर दिया। लेकिन गाजीपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा को गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने एक लाख से अधिक मतों से पराजित कर दिया। केंद्र में भाजपा की प्रचंड जीत की खुशी तो भाजपाईयों को खूब हुई लेकिन मनोज सिन्हा के हार जाने से उनकी पूरी खुशी गम में तब्दील हो गई। ऐसे में वो खुल कर खुशी भी नहीं मना सके। इसी तरह गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने भले ही गाजीपुर में शानदार जीत दर्ज की हो लेकिन पूरे प्रदेश में उनकी स्थिति 20 सीटों के अंदर ही सिमट जाने से वो भी गाजीपुर में अफजाल की जीत की खुशी नहीं मना सके। बिल्कुल यही स्थिति 2017 के विधानसभा चुनावों में सैदपुर में तब हुई थी जब पूरे प्रदेश में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था लेकिन सैदपुर में भाजपा प्रत्याशी विद्यासागर सोनकर को सपा के सुभाष पासी ने भारी अंतर से हरा दिया था। ऐसे में उस प्रचंड बहुमत की खुशी को भी सैदपुर में भाजपा नहीं मना सकी। वहीं सपा कार्यकर्ता भी सुभाष पासी की उस बड़ी जीत पर खुशी नहीं मना सके थे। क्योंकि सुभाष पासी भले ही जीते थे लेकिन उनके केंद्रीय नेतृत्व को प्रदेश में बड़ी हार मिली थी। बिल्कुल वहीं स्थिति दोबारा दोहराए जाने के कारण न सिर्फ भाजपाजनों में बल्कि सपाइयों में भी मायूसी छा गई।



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