गोरखपुर के एम्स में खत्म हुआ संयुक्त सचिव का 3 दिवसीय दौरा, साझा प्रयासों से ही बीमारियों पर रोकथाम की कही बात
गोरखपुर। वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम में बड़ी भूमिका निभाने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के तीन दिवसीय दौरे के आखिरी दिन शनिवार को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम) राजीव मांझी ने संस्थान की व्यवस्थाओं और बीमरियों की रोकथाम के लिए किये गए प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि समन्वित प्रयासों का ही नतीजा है कि आज देश कालाजार जैसी गंभीर बीमारी के उन्मूलन के करीब है। श्री मांझी ने इस दौरान फाइलेरिया, कुष्ठ और कालाजार उन्मूलन की स्थिति को करीब से देखने के साथ ही इनकी रोकथाम के लिए किये गए समन्वित प्रयासों को भी बारीकी से समझा। कुष्ठ और कालाजार से ठीक हुए लोगों से मिलकर उन नवाचारों को भी देखा जिनके जरिये बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ी है और संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है। वह लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के मरीजों से भी मिले जो प्रभावित अंग की साफ सफाई, व्यायाम और प्रबन्धन से सामान्य जीवन जी रहे हैं और दूसरों को भी बीमारी के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स गोरखपुर में विशेषज्ञों से मिलकर उपेक्षित बीमारियों के उन्मूलन में अनुसंधान और समुदाय में सहभागिता बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया। संयुक्त सचिव ने 11 अप्रैल को एम्स आगमन पर ही पत्रकारों को बताया था कि एम्स गोरखपुर में उनके आने का उद्देश्य सिर्फ अनुसंधान और राष्ट्रीयकृत कार्यक्रमों में एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान की भूमिका को देखना और समझना है। इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए स्वच्छता पखवाड़े में शामिल होने के बाद 12 अप्रैल को उन्होंने एम्स गोरखपुर की वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम में भूमिका को देखने और समझने के लिए पूरे परिसर का भ्रमण भी किया। यह संस्थान बीमारियों की रोकथाम में समुदाय के स्तर पर भी अच्छी भूमिका निभा रहा है। इस कार्य को अनुसंधान और नवाचारों के जरिये निरंतर आगे बढ़ाने के लिए विषय विशेषज्ञों को प्रेरित भी किया। श्री मांझी को एम्स परिसर में कालाजार व फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों के साथ संवाद में बीमारियों की रोकथाम में सामुदायिक भूमिका के कई नये रोल मॉडल को करीब से जानने का मौका मिला। देवरिया, गोरखपुर और कुशीनगर में इन बीमारियों से ठीक मरीज समूह बनाकर संक्रमण को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। बातचीत में उन्हें ऐसे मॉडल को भी जानने का मौका मिला, जिनके जरिये किसी गांव में फाइलेरिया से बचाव के लिए शत-प्रतिशत लोगों को दवा खिलाई जा सकी। उनके द्वारा ऐसे मॉडल का विवरण मांगा गया है, जिससे सीख लेकर उसे पॉलिसी के स्तर पर लागू किया जा सकता है। रोगी नेटवर्क से संवाद का निष्कर्ष इस रूप में देखा गया कि स्वास्थ्य सिर्फ किसी एक विभाग का विषय नहीं है, यह हर किसी का मुद्दा है और जो नवाचार या रोल मॉडल सामने आए हैं उन्हें देखकर महसूस हुआ कि आशा, आंगनबाड़ी, ग्राम प्रधान, वार्ड मेंबर, विभिन्न विभागों के कर्मचारी, कोटेदार और बीमारी से ग्रसित रहे लोग जब एक साथ मिलकर समन्वित प्रयास करते हैं तो किसी भी राष्ट्रीयकृत अभियान की राह सरल हो जाती है। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स, गोरखपुर में स्वच्छता एवं उपलब्ध स्वास्थ्य सेवा की सराहना की। संयुक्त सचिव ने स्वीकार किया कि समन्वित प्रयासों के कारण ही देश कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को, एक स्वास्थ्य सेवा समस्या के उन्मूलन के रुप में, प्राप्त कर पाया है तथा इस प्रयास से देश कालाजार निर्मूलन की ओर अग्रसर है। इस मौके पर संयुक्त सचिव के साथ एडी लेप्रोसी डॉ सोमेंद्र, सीएमओ डॉ सुरेश पटारिया, एसीएमओ वीबीडी डॉ राकेश गुप्ता, जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ रामदास कुशवाहा, उप निदेशक प्रशासन अरूण सिंह, डॉ अरुप मोहन्ती, डॉ महिमा मित्तल, डॉ अनिल कोपेकर, डॉ सुबोध पांडेय आदि रहे।