स्वयं सहायता समूहों की मदद से शहरी क्षेत्रों में मजबूत होगा स्वास्थ्य कार्यक्रम, एसीएमओ ने दिया निर्देश
गोरखपुर। मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवा, परिवार नियोजन कार्यक्रम, संचारी रोगों की रोकथाम और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को शहरी क्षेत्र में मजबूती प्रदान करने में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की अहम भूमिका हो सकती है। समुदाय स्तर पर इन समूहों के साथ समन्वय स्थापित कर स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ किया जाए। यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने कहीं। कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उन अभियानों से भी जोड़ा जाए, जिनके तहत प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है। समुदाय स्तर पर जब भी कोई बैठक हो, समूह की सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाए। शहरी क्षेत्र में विभिन्न समूहों से जुड़ कर करीब 22 हजार से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं, जो स्वास्थ्य सेवा सुदृढ़ीकरण में अहम योगदान दे सकती हैं। स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशन (पीएसआई) इंडिया के सहयोग से हुई इस बैठक में निजी क्षेत्र की मदद से परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ करने के बारे में विशेष तौर पर चर्चा हुई। कहा कि परिवार नियोजन की उपलब्ध सेवाओं के बारे में शहरी स्वास्थ्य केंद्रों और निजी अस्पतालों में परामर्श के पक्ष को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के बीच समन्वय मजबूत बनाकर काम करने के लिए कहा। निजी अस्पतालों के जरिये परिवार नियोजन की अस्थायी सेवाएं सरकारी प्रावधानों के तहत उपलब्ध कराने के लिए भी कहा गया। प्रतिभागी चिकित्सक डॉ एके वर्मा ने बताया कि प्रत्येक तीन माह पर समन्वय समिति की बैठक की जाती है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं को मजबूती प्रदान करना है। इस बार भी कार्यक्रम की बाधाओं के बारे में चर्चा हुई और उनके संभावित समाधानों के बारे में भी बात हुई। स्वयं सहायता समूहों का भी योगदान लेने के लिए कहा गया है। इस संबंध में समूहों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। इस मौके पर सुरेश सिंह चौहान, डॉ अर्चना, विजय श्रीवास्तव, धर्मवीर प्रताप सिंह, मिर्जा आफताब बेग, कृति पाठक, प्रियंका सिंह आदि रहे।