नया शिक्षण सत्र शुरू हुए 4 माह बीते, अब तक नहीं मिली बच्चों को किताबें, डीबीटी योजना का धन भी खर्च दे रहे अभिभावक





भीमापार। क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों मे शिक्षकों के सामने बड़ी समस्या आ खड़ी हो गई है। समस्या ये है कि स्कूलों में अभी तक बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक नहीं मिल पाई है। जबकि 1 अप्रैल से ही नया शिक्षा सत्र चालू हो गया है। वहीं दूसरी तरफ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता परखने के लिए टीमों का गठन कर भौतिक सत्यापन कराने में जुटी है। बता दें कि सादात विकासखंड के 100 प्राथमिक, 22 उच्च प्राथमिक व 24 कम्पोजिट विद्यालयों को मिलाकर कुल 146 परिषदीय विद्यालयों में सरकार द्वारा हर वर्ष निःशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराया जाता है। नया शैक्षिक सत्र अप्रैल माह से ही शुरू हो गया है, लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी अभी तक विद्यालयों में छात्रों को पुस्तकें नहीं मिल पाई। शिक्षकों द्वारा कुछ छात्रों को पुरानी फटी हुई पुस्तकें दी गई हैं। छात्रों की पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं करा पाए और उपर से शिक्षा की गुणवत्ता चेक करने अधिकारियों की टीम चल रही है। ऐसे में शिक्षक कैसे छात्रों को शिक्षा दे पायेंगे। इसके अलावा शिक्षक एक और समस्या से जूझ रहे हैं। समस्या ये है कि निःशुल्क ड्रेस वितरण, जूता मोजा, बैग, स्वेटर के लिए अब सरकार डीबीटी योजना के अंतर्गत बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में सीधे 1100 रुपये भेजती है। लेकिन धन मिलने के बाद अभिभावक उसे निकालकर धनराशि को अन्यत्र खर्च कर लेते हैं और बच्चों को ड्रेस नहीं खरीदते हैं। इसलिए बच्चे पुराने कपड़े ही पहनकर स्कूलों में आते हैं। इधर शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रधानाध्यापक पर दबाव बनाते हैं कि बच्चे स्कूली ड्रेस में आए। अब देखना है कि उक्त दोनों मसलों पर सरकार क्या करती है।



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