कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के एक वर्ष पूरे, एक साल में इस युवा नर्स ने लाखों में बांटा सुरक्षा कवच, मिला सम्मान
गोरखपुर। जिले में ठीक एक साल पहले शुरू हुए कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने में एएनएम के साथ-साथ स्टॉफ नर्सेज ने भी सक्रिय योगदान दिया है। ऐसी ही एक युवा स्टॉफ नर्स हैं नुजहत परवीन। ईद, बकरीद और मुहर्रम पर भी उन्होंने जिला अस्पताल में कोविड टीकाकरण के जरिये लोगों को सुरक्षा कवच बांटा। सवा लाख से अधिक लोगों के कोविड टीकाकरण में सहयोग कर चुकीं नुजहत को सराहनीय सेवा के लिए समय-समय पर सम्मानित भी किया जा चुका है। कुशीनगर जिले की रहने वाली और अपने परिवार की सबसे छोटी बेटी नुजहत एक साल के दरम्यान कोविड टीकाकरणकर्मी और वेरिफायर दोनों की भूमिका निभाती रही हैं। परिवार से दूर रोजाना सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक ड्यूटी पर मुस्तैद रहने वाली नुजहत ने 19 वर्ष की उम्र में यह पेशा चुना था। पहले नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में नर्स के रूप में सेवाएं दीं और फिर गोरखपुर के दीवान बाजार पीएचसी पर बतौर स्टॉफ नर्स ज्वाइन किया। दीवान बाजार यूपीएचसी को दो-दो बार कायाकल्प अवार्ड दिलवाने में योगदान के लिए नुजहत सम्मानित हो चुकी हैं। कोविड टीकाकरण में सराहनीय भूमिका के लिए उन्हें पिछले साल मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत जिला स्तर पर सम्मानित किया गया। स्वतंत्रता दिवस पर भी उन्हें प्रशस्ति पत्र मिल चुका है। नुजहत बताती हैं कि उनके परिवार में कोई भी चिकित्सा के क्षेत्र से नहीं था, इसलिए उनका सपना था कि वह इस क्षेत्र में जाएं। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उनके माता-पिता ने उनके सपनों को पूरा करने में मदद की। सबसे ज्यादा सहयोग मां का मिला और वह अमेठी से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकीं। कोविड टीकाकरण की चुनौतियों के बारे में वह बताती हैं कि रोजाना सैकड़ों लोगों के सवालों का जवाब देकर उन्हें समझाना पड़ता है। मसलन कुछ लोग यह आपत्ति जताते हैं कि विदेश जाने वालों को मात्र 28 दिन में जबकि बाकी लोगों को 84 दिन बाद टीके की दूसरी डोज क्यों दी जा रही है? इसी तरह प्रिकाशन डोज को लेकर भी कई लोग सवाल करते हैं। उन्हें गाइडलाइन समझाना पड़ता है। टीकाकरण स्थल पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना भी एक बड़ी चुनौती है। खुद का भी ध्यान रखना होता है। नुजहत परवीन की दो महीने बाद मार्च में शादी है। रोजाना के टीकाकरण कार्यक्रम के साथ ही वह शादी की तैयारियों में भी जुटी हैं। वह बताती हैं कि बाकी दिन बाजार जाने के लिए भी फुर्सत नहीं मिल पाती। इसलिए शादी की शॉपिंग वह केवल रविवार को ही कर पाती हैं। एसीएमओ डॉ. नंद कुमार ने कहा कि स्टॉफ नर्स नुजहत समेत जिले की सैकड़ों एएनएम और स्टॉफ नर्स कोविड की रोकथाम और टीकाकरण में सराहनीय योगदान दे रही हैं। ऐसे लोगों के कारण ही कोविड से लोगों के जीवन की रक्षा संभव हो पा रही है।