25 वर्षीय स्वामी विवेकानंद ने खुद सन्यास लेकर दुनिया को सिखाई जीवन जीने की कला
जखनियां। क्षेत्र स्थित हनुमान मंदिर पर रुरल डेवलपमेंट एण्ड रिसर्च फाउंडेशन संस्था द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। निदेशक अरविन्द यादव ने कहा कि यह दिन देश के उन युवाओं को समर्पित किया जाता है, जो भारत के लिए एक स्वस्थ और बेहतर भविष्य को आकार देने की क्षमता रखते हैं। स्वामी विवेकानंद का युवाओं से गहरा नाता था, इसलिए उनके जन्म दिवस को युवाओं के लिए समर्पित किया गया है। इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस भी कहा जाता है। कहा कि वो वेदों के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। 25 साल की उम्र में विवेकानंद ने सांसारिक मोह माया त्याग दी थी और संन्यासी बन गए। सचिव उदय प्रताप यादव ने भी उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1881 में विवेकानंद की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई। जिसके बाद वे पूरे विश्व में दार्शनिक और विचारक के तौर पर लोगों को प्रेरित करने लगे। कहा कि उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का मुख्य लक्ष्य भारत के युवाओं के बीच स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के महत्व का प्रसार करना है। इस मौके पर डॉ संजय यादव, विनोद, प्रिंस गुप्ता, चंदन यादव आदि रहे।