इस महामारी से बिना थके, बिना रूके और बिना हारे चलते जाना है, 20 लाख करोड़ के पैकेज से आत्मनिर्भर बनेगा भारत - मनोज सिन्हा





गाजीपुर। एक वायरस ने पूरी दुनिया को तहस नहस कर दिया है। हम सभी ने ऐसा संकट ना देखा था और ना ही सुना था। यह संकट अब तक सबसे बड़ा संकट है लेकिन इस संकट से न थकना है, न रूकना है, न टूटना है और न ही हारना है। सतर्क रहते हुए इस लड़ाई के सभी नियमों का पालन करते हुए हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। उक्त बातें सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने भाजपा उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित ‘मेक इन इंडिया अब सपना नहीं, एक साकार होती सच्चाई है’ विषयक वर्चुअल संवाद को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही। ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े लोगों के लिए आयोजित इस सभा में उन्होंने कहा कि आज जब संकट बड़ा है तो हमको इस संकट में भी संकल्प भी मजबूती से लेना होगा। हम लंबे समय से सुनते हुए आ रहे है कि 21वीं सदी भारत की सदी होगी। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस सदी को भारत की सदी बनाने में हम अपना पूर्ण योगदान दें। कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। कहा कि आत्मनिर्भर भारत के पांच पिलर है। जिसमें पहला अर्थव्यवस्था, दूसरा, इंफ्रास्ट्रक्चर, तीसरा एसवाईएस टीम, चौथा डेमोथेरेपी और पांचवीं डिमांड है। ये आर्थिक पैकेज जीडीपी का 10 प्रतिशत है और ये देश की विकास यात्रा को तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देगा। आत्मनिर्भर भारत पैकेज का विवरण देते कहा कि इससे 3.15 करोड़ जनता को सीधी राहत मिलेगी। जिसमें 1.70 लाख करोड़ पीएम गरीब कल्याण पैकेज, 70 हजार करोड़ सीएलएसएस के तहत हाउसिंग कर्ज पर ब्याज सब्सिडी, 40 हजार करोड़ मनरेगा के तहत अतिरिक्त रोजगार के लिए, 20 हजार करोड़ समुद्री और देश के अंदर मछली पालन के इंफ्रा विकास के लिए, 15 हजार करोड़ पशुपालन योजनाओं के लिए, 10 हजार करोड़ माइक्रो फ़ूड इंटरप्राइज की फार्मलाईजेशन स्कीम पर, 10 हजार करोड़ एमएसएमई में इक्विटी सहायता के लिए और 8 हजार करोड़ बायबिलिटी गैप की फंडिंग के लिए निर्गत किया गया है। इसके अलावा 4 हजार करोड़ हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए, 4 हजार करोड़ से प्रवासी मजदूरों को आवास और खाना, 3 हजार करोड़ का सरकार द्वारा ईपीएफ में योगदान, 2 हजार करोड़ मुद्रा लोन पर ब्याज व सब्सिडी पर, 1 हजार करोड़ फलों, सब्जियों के ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज पर तथा 500 करोड़ मधुमक्खी पालन के लिए है। संचालन त्रयंबक त्रिपाठी ने किया।



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