मऊ जिले में कृषि के विकास व भौगोलिक संरचना पर पेश हुआ शोध प्रबंध, सरकार की योजनाओं का कृषि पर बताया प्रभाव





गाजीपुर। जिले के पीजी कॉलेज में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कला संकाय के भूगोल विषय के शोधार्थी राजीव यादव ने ‘मऊ जनपद में कृषि विकास : एक भौगोलिक अध्ययन’ विषयक शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत किया। कहा कि मऊ जनपद एक ग्रामीण जनसंख्या बाहुल्य जनपद है। यहाँ की 77.37 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है और अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। मऊ में कृषि में अपार संभावनाएं हैं। देश की स्वतंत्रता के समय यहाँ कृषि की दशा अत्यन्त दयनीय थी। कृषि जीवन निर्वाह मूलक थी। परन्तु स्वतंत्रता के पश्चात् केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के प्रयासों से तथा इनके द्वारा संचालित विविध योजनाओं से इस जनपद में कृषि विकास हेतु आवश्यक सुविधाओं में सिंचाई के साधनों, कृषि यन्त्रों, उन्नतशील बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों, शीतभण्डार गृहों एवं ग्रामीण गोदामों की उपलब्धता तथा वित्तीय एवं विपणन सुविधाओं की प्रचुर उपलब्धता के चलते कृषि में काफी मदद मिली। इसके साथ ही उन्होंने और विस्तृत जानकारी दी। इसके बाद सभी के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दिया। इसके पश्चात प्राचार्य डॉ. राघवेंद्र पांडेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति की। इस मौके पर प्रो. डॉ जी. सिंह, डॉ. एसडी सिंह परिहार, डॉ. सुनील शाही, डॉ अरुण यादव, डॉ राम दुलारे, डॉ केके पटेल, डॉ लवजी सिंह, डॉ एसएन मिश्रा, डॉ नीतीश भारद्वाज आदि रहे।



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