दो जिलों के डीएम, कमिश्नर के हस्तक्षेप के बावजूद किसानों ने अपनी जमीन से नहीं दिया बालू, अब नुरूद्दीनपुर गांव में जिओ ट्यूब की जगह परको पाइन विधि से बदलेगी नदी की धारा
खानपुर। क्षेत्र के नुरुद्दीनपुर गांव में गोमती नदी पर बनने वाले कटानरोधी तटबंध को बालू विवाद में जिओ ट्यूब विधि से बदलकर परको पाइन विधि में बदल दिया गया है। जिओ ट्यूब विधि से बनने वाला 300 मीटर लंबा तटबंध अब परको पाइन विधि से बनाया जाएगा। गोमती नदी गौरी गांव से तीव्र मोड़ लेते हुए नुरुद्दीनपुर गांव के पास घुमावदार अंदाज में रिहायशी इलाके में काफी दिनों से किनारों के भूभाग को काट रही है। जिसकी रोकथाम के लिए सरकार ने 1.16 करोड़ रुपये की लागत से जिओ ट्यूब विधि का कटान रोधी तटबंध बनाने की बात कही। जिसमें नदी किनारे बड़े-बड़े जिओ ट्यूब में नदी की तलहटी से बालू निकालकर भरना था। इस तटबंध में कुल 70 ट्यूब में 10 हजार 150 घन मीटर बालू भरना था। लेकिन गोमती नदी के उस पार वाराणसी जिले के टेकुरी गांव के किसानों ने अपने जमीन से बालू निकालने से मना कर दिया। जिसके बाद कार्यदायी संस्था, स्थानीय प्रशासन, सिंचाई विभाग और दोनों जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के कई दौर की बैठक भी हुई। लेकिन वो बैठक नाकाम साबित हुई। गाजीपुर व वाराणसी जिलों के डीएम सहित कमिश्नर द्वारा गठित संयुक्त टीम से भी कोई सार्थक निर्णय नहीं निकल पाया। महीने भर से काम बंद है और कई कलपुर्जे एवं ट्यूब का नुकसान हो रहा है। जिसके बाद बालू के अभाव में इस तटबंध को जिओ ट्यूब विधि के बजाय परको पाइन विधि से तटबंध बनाने का निर्णय लिया गया है। परको पाइन तटबंध कंक्रीट के छोटे-छोटे पिलर होते हैं, जिन्हें नदी किनारे कटान स्थल पर जलधारा के बीच खड़ा किया जाता है। इन पिलर्स को त्रिभुजाकार खड़ा करके जंगली लकड़ियां और घांस फूस की दीवार बना दी जाती है। जिससे नदी की धारा धीरे-धीरे अपना मार्ग बदल लेती है।