शारदीय नवरात्रि करीब आते ही सजने लगे रामलीला मंच, कोरोना ने लंबे अरसे से बंद कराया था मंचन





खानपुर। क्षेत्र के दर्जन भर गांव गोपालपुर, सिधौना, नेवादा, खानपुर, रामपुर आदि गांवों में रामलीला के मंचन की तैयारियां शुरू हो गईं है। कोरोना काल के चलते पिछले कुछ सालों से प्रतिबंधित रही रामलीला की मंचन इस साल दोगुने उत्साह से आयोजित की जा रही हैं। क्षेत्र में करीब दो दर्जन स्थानों पर रामलीला का मंचन किया जाता है। सैकड़ों वर्ष पूर्व पूर्वजों द्वारा शुरू किए गए रामलीला के मंचन के लिए गोपालपुर, सिधौना, रामपुर और खानपुर की रामलीला प्रसिद्ध है। अपने शानदार मंचन एवं मेकअप के लिए ख्यातिप्राप्त सिधौना की रामलीला, ऐतिहासिक रामनगर से प्रेरित गोपालपुर की रामलीला हो या अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए रामपुर की रामलीला हो, सब अपने आप में लोकप्रियता के सभी मापदंड पर खरे उतरते हैं। खानपुर की रामलीला में हिन्दू मुस्लिम कलाकार एक साथ शामिल होकर सामाजिक सौहार्द का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते है। पितृपक्ष शुरू होने से पूर्व ही मंगल मुहूर्त में सभी रामलीला समितियां अपने पदाधिकारियों का चयन कर रंगमंच के कलाकारों का चयन करने लग गए थे। चयनित कलाकारों को उनके कद काठी और संवाद अदायगी के अनुसार भूमिका देकर उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों के रामलीला में भाग लेने के लिए दूर दराज के शहरों सहित विदेशों में बसे लोग भी अपनी भागीदारी के लिए शारदीय नवरात्रि में अपने गांव आते है। ग्रामीण रामलीला में 10 वर्षीय बालक से 70 वर्षीय वृद्ध तक भाग लेते हैं। गांव के अनपढ़ से लेकर पीसीएस अफसर और प्रोफेसर तक मंच पर अपनी भूमिका निभाते है। दो साल से प्रतिबंधित रहे मंचन कार्य के बाद सभी रामलीला समितियों ने राजसी पोशाक और अस्त्र शस्त्र सहित मुकुट और साज सजावट के सामानों की खरीददारी में जुट गए है। रामलीला मंच के रंग रोगन सहित आसपास साफ सफाई का कार्य शुरू हो गया है। विजयादशमी मेला परिसर को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा रहा है। त्योहारों के मौसम की शुरुआत हो जाने से हर आयु वर्ग और जातिवर्ग के लोगों के चेहरे पर रौनक चढ़ गई है।



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