हौसला साझेदारी के तहत पांच महिलाओं की कराई गई नसबंदी
गोरखपुर। परिवार नियोजन का मतलब सिर्फ दो बच्चे होना नहीं है। इसका विस्तृत अर्थ है कि शादी के बाद दो साल बाद पहले बच्चे के प्रति नियोजन और दो बच्चों के बीच नियोजित अंतर रखना। जब दो बच्चों के जन्म के बीच कम अंतर रहता है तो मां और बच्चे दोनों कुपोषित हो सकते हैं। यह कहना है राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद का। वह जननी सूर्या क्लिनिक पर आशा कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों से संवाद कर रहे थे। इस मौके पर हौसला साझेदारी के तहत पांच महिलाओं ने नसबंदी अपनाई। जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि बच्चे संयोगवश न होकर पूरी प्लानिंग के साथ हों, इसके प्रति दंपति को सजग रहना होगा। इसके लिए परिवार नियोजन के उचित साधनों का प्रयोग करना होगा। जब परिवार पूरा हो जाए तो स्थायी साधन नसबंदी को अपना लेना चाहिए। कोशिश हो कि पुरुष ही नसबंदी कराएं क्योंकि उनकी नसबंदी आसान और असरदार है। कार्यक्रम में महिला नसबंदी के लाभार्थी के साथ पहुंचीं इस्लामचक की आशा कार्यकर्ता संगीता ने बताया कि हौसला साझेदारी के तहत परिवार नियोजन के सभी नौ साधनों की सुविधा जननी सूर्या क्लिनिक से प्राप्त हो जाती है और पूरी सुविधा निःशुल्क है। सुविधाएं अच्छी मिलने से वह लाभार्थी को सबसे पहले यहीं लाना पसंद करती हैं। सेवाओं से संबंधित लाभार्थी की प्रोत्साहन राशि भी समय से मिल जाती है। इस मौके पर अस्पताल के प्रतिनिधि विशाल की देखरेख में बॉस्केट ऑफ च्वाइस की प्रदर्शनी भी लगायी गयी और अस्पताल आने वाले सभी लाभार्थियों को सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। लोगों को बताया गया कि अस्पताल पर परिवार नियोजन वह सभी सुविधाएं निःशुल्क प्राप्त होंगी जो कि सरकारी अस्पताल पर मौजूद हैं।