रामकथा के पांचवें दिन शिव-पार्वती विवाह का संगीतमय वर्णन सुन भक्तिभाव में डूबे भक्त





खानपुर। क्षेत्र के सिधौना स्थित सिद्धेश्वर धाम में सप्तदिवसीय राम कथा के पांचवें दिन कथावाचक शशिकांत महाराज के संगीतमय शिव विवाह का वर्णन सुन श्रद्धालु स्त्री-पुरूष झूम उठे। भगवान शिव की बारात जब हिमालय पहुंची तो माता पार्वती के माता-पिता और वहां मौजूद प्रजा बारात में सम्मिलत भूत-प्रेत, औघड़-सन्यासियों को देखकर चकित रह गए। भगवान शिव की बारात में भगवान विष्णु और ब्रम्हा देव सहित देवता भी सम्मिलित रहे। शंकरजी ने बारात यात्रा में सभी नंग धड़ंग भूत प्रेत, पिशाच, दैत्य को अपने से आगे रखा और सभी सजे धजे देवताओं को अपने पीछे चलाया। भगवान शिव सभी त्याज्य वस्तुओं को अपनाकर उसका सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने अमृत को छोड़कर विष को, कमनीय पुष्पों की माला को छोड़ कर सफेद फूलों को अपनाया। इतना ही नहीं, मेवा पकवानों को छोड़कर बेलपत्र और धतूरा से संतुष्ट होना शिव जी के परोपकारी होने का अनुकरणीय उदाहरण है। शिव भक्तों के लिए भोले और दुष्टों के लिए भाले हैं। वो संयुक्त परिवार की अद्भुत छवि प्रस्तुत करते हैं। भगवान शिव अपने परिवार में विषम स्वभाव के पशु जानवरों को भी एक साथ रखते हैं। संत राममिलन पाठक ने हिन्दू समाज को नियमित आध्यात्मिक सत्संग और सोलह संस्कारों के प्रति जागरूक किया। बच्चों में भक्तिभाव जागने और शिक्षा संस्कृति का आचरण करवाने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया।



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