एक टीबी मरीज ढूंढने पर मिलेगी 500 रूपए की प्रोत्साहन राशि, टीबी मुक्त भारत का सपना साकार करने की दिशा में सशक्त कदम





गोरखपुर। देश से वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रयास जारी है। इसी क्रम में समुदाय की भागीदारी को और बढ़ाते हुए यह व्यवस्था की गयी है कि नया टीबी रोगी खोजने वालों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि उनके खाते में दी जाएगी। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. रामेश्वर मिश्र ने दी। उन्होंने बताया कि जुलाई में प्रस्तावित विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं दस्तक अभियान के दौरान जो आशा कार्यकर्ता नया टीबी रोगी खोजेंगी उन्हें सूचनादाता के तौर पर 500 रुपये उनके खाते में दिये जाएंगे। अगर कोई गैर सरकारी व्यक्ति भी टीबी का नया रोगी खोजता है तो उसे सूचनादाता के तौर पर यह रकम देने का प्रावधान है। डीटीओ ने बताया कि एक जुलाई से 31 जुलाई तक के विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं 12 जुलाई से 25 जुलाई तक के प्रस्तावित दस्तक अभियान के दौरान क्षय रोगियों को भी ढूंढना है। आशा कार्यकर्ता लक्षण वाले संभावित क्षय रोगियों को ढूंढेंगी। ऐसे रोगियों की लिस्ट तैयार कर वह एएनएम को देंगी और ब्लॉक मुख्यालय को भी उपलब्ध कराएंगी। ऐसे संभावित रोगियों की टीबी जांच कराई जाएगी। जांच में अगर टीबी की पुष्टि ऐसे रोगी में होती है जिसको पहली बार यह बीमारी हुई है और जो पहले से निःक्षय पोर्टल पर दर्ज नहीं है तो रोगी को तुरंत पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा। ऐसे रोगी को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए खाते में दिये जाएंगे। इसके अलावा जिसकी सूचना के कारण रोगी की पहचान हुई है उसे भी 500 रुपये खाते में दिये जाएंगे। डॉ. मिश्र ने बताया कि अभियान के दौरान यह भी दिशा-निर्देश है कि सांस के गंभीर रोगी (एसएआरआई) और निमोनिया के साथ खांसी के मरीज (आईएलआई) मिलते हैं तो उनकी लिस्ट तैयार करके कोविड जांच के साथ-साथ टीबी की जांच अवश्य करवाई जाए। जिला क्षय रोग अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील की है कि अभियान के दौरान जब अंग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता उनके घर टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी मांगें तो सही जानकारी दें। बीमारी को छिपाएं नहीं। टीबी रोगियों के इलाज में गोपनीयता बरती जाती है। लक्षणों के बावजूद अगर कोई बीमारी को छिपा रहा है तो इससे उसके परिवार में भी टीबी के प्रसार का खतरा रहता है। बीमारी छिपाने वालों का समय से इलाज शुरू नहीं हो पाता और टीबी खतरनाक रूप अख्तियार करने लगती है। बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे में अगर खांसी का मरीज आता है तो उसके सभी लक्षणों की गहनता से पड़ताल होनी चाहिए और संभावित टीबी मरीज दिखे तो टीबी जांच अवश्य करवाई जानी चाहिए। कहा कि अगर कोई कोविड मरीज ठीक हो जाता है और उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है, फिर भी खांसी नहीं रूक रही है तो उसकी टीबी जांच अवश्य कराई जानी चाहिए। कोविड के लक्षण वाले व्यक्ति की जांच कराने पर अगर रिपोर्ट निगेटिव है तब भी टीबी जांच अवश्य करवा लें। टीबी की ट्रूनेट विधि से जांच की सुविधा जिला क्षय रोग केंद्र के अलावा सीएचसी पिपराईच, सीएचसी भटहट, सीएचसी कैंपियरगंज, पीएचसी खोराबार, सीएचसी बड़हलगंज और सीएचसी सहजनवा में भी उपलब्ध है।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< संयुक्त निदेशक ने किया खुशहाल परिवार दिवस का शुभारंभ, राज्य स्तर पर सम्मानित होंगी बेहतरीन नवाचार अपनाने वाली इकाईयां
अगले विधानसभा चुनाव में नहीं होगा कायस्थ प्रत्याशी तो अपना प्रत्याशी उतारेगा कायस्थ समाज, बैठक में एकजुटता की अपील >>