अद्भुत! 14वीं शताब्दी से भारत की प्राचीन संस्कृति को संजो रहा है सैदपुर का ये मठ, सिर्फ योग क्रियाओं से होता है असाध्य रोगों का उपचार
बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर
खानपुर। ऋषि मुनियों की पुरातन चिकित्सा पद्धतियों में योग से उपचार की परंपरा आज भी सैदपुर ब्लाक के पटना गांव स्थित गंगा किनारे बने रामानंद मठ में बदस्तूर जारी है। मठ के स्वामी शिवरामानंद महाराज कई वर्षों से लोगों की सामान्य बीमारियों सहित कई असाध्य रोगों का इलाज योग क्रिया से करते हैं और उन्हें पूरी तरह से चंगा भी कर देते हैं। उनके द्वारा प्राचीन भारतीय विरासत को संजोए जाने की जानकारी होने पर दूर दराज के लोगों समेत कई योग गुरू भी स्वामी जी के योग शिविर में शिक्षा-दीक्षा लेने आते हैं। स्वामी शिवरामानंद ने बताया कि महान संत रविदास के गुरु संत शिरोमणि स्वामी रामानंद महाराज ने 14वीं शताब्दी में काशी भ्रमण के दौरान मोक्षदायिनी गंगा के तट पर स्थित पटना गांव में इस मठ की स्थापना की थी। बताया कि यहां आज भी सादगीपूर्ण जीवनशैली और आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर आहार के साथ नियमित भक्ति साधना करने वाले मठ के साधु-संत देश भर में घूम-घूमकर योगापचार और आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करते हैं। बताया कि पीलिया, बवासीर, गठिया, हार्निया, पथरी, टीबी, दमा, ल्यूकोरिया, फाइलेरिया, अधकपारी आदि जैसे दर्जनों गंभीर व कई असाध्य बीमारियों के रोगियों को योग क्रिया बताकर उन्हें रोगमुक्त किया जाता है। यहां लगने वाले योग शिविर में सर्वांगासन, मत्स्यासन, धनुरासन, मयूरासन, वज्रासन, अग्निसार क्रिया, भस्त्रिका प्राणायाम, शंख मुद्रा, अग्निमुद्रा, हलासन, गोमुखासन, शीर्षासन, गरूड़ासन जैसे सैकड़ों आसन और मुद्राएं बताने के साथ सिखाई जाती हैं। बताया कि पुरुषों के अलावा स्त्रियों को भी उनसे संबंधित कई बीमारियों और गर्भधारण से लेकर सुरक्षित प्रसव संबंधी आसन बताए जाते हैं। मठ के योगी देवानन्द महाराज ने बताया कि यौगिक क्रियाओं से दीर्घ जीवन, अनामय स्वस्थ्य सबल शरीर और स्वीकृत कार्य में पूर्ण यश प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है। योग के आठ अंग जिनमें यम, नियम, आसन, प्राणयाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि होते हैं। वर्तमान समय में योगासन व प्राणायाम क्रिया से रोगों का उपचार सबसे उत्तम माना जा रहा है क्योंकि पर्यावरण के प्रदूषित हो जाने की वजह से दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां भी अपनी नैसर्गिक गुणवत्ता खो चुकी हैं। गौरतलब है कि कोरोना काल में वायरस के संक्रमण की वजह से बंद चल रहे शिविर में पहले पूर्वांचल भर के जिलों से बीमार लोग अपने सफल इलाज के लिए पटना स्थित इस रामानन्द मठ में आते थे।