भगवान जन्म नहीं लेते बल्कि प्रकट होते हैं, धन संपदा की जगह भक्ति मांग या खुद भगवान को मांग कृतार्थ करें जीवन - राजन महाराज
गाजीपुर। ‘भगवान का जन्म नहीं होता बल्कि उनका तो प्राकट्य होता है। इसलिए जीवन में उनसे कभी कुछ मांगने की इच्छा हो तो धन सम्पदा की मांग से बेहतर है कि स्वयं उन्हें या उनकी भक्ति को ही मांग लिया जाय। यही वो प्रार्थना है जिससे मानव जीवन का कल्याण होने के साथ ही जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।’ उक्त बातें नगर के लंका मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन बुधवार को श्रीराम बाल लीला प्रसंग पर कथा करते हुए मानस मर्मज्ञ राजन महाराज ने कहीं। कहा कि सर्वशक्तिमान ईश्वर को जानने नहीं अपितु उन्हें मानने का प्रयास किया जाना चाहिए, क्योंकि हमारा यह मानना ही एक दिन जानने में परिवर्तित होकर हमें प्रभु से साक्षात्कार करा सकता है। कहा कि प्रभु सर्वव्यापी हैं और जिस तरह घर्षण से अग्नि उत्पन्न होती है ठीक वैसे ही जब हम अपने आराध्य की भक्ति में उनके श्रीचरणों के वश्ीभूत होकर उनके साथ प्रेम का घर्षण करते हैं तो वे अग्नि की तरह हमारे समक्ष प्रकट होकर जगत को आलोकित करने के साथ ही विश्व का कल्याण करते हैं। इस दौरान कथा में सपत्नीक आए संजीव कुमार त्रिपाठी द्वारा व्यासपीठ, पवित्र रामचरितमानस एवं कथा मंडप की आरती की गई। आलोक सिंह, सुधीर श्रीवास्तव, शशिकांत वर्मा, संजीव त्रिपाठी, राकेश जायसवाल, आकाशमणि त्रिपाठी, दुर्गेश श्रीवास्तव, मंजीत चौरसिया, अनिल वर्मा, छात्रनेता दीपक उपाध्याय, अमित वर्मा आदि रहे।