माहवारी स्वच्छता दिवस विशेष : भारत में हर वर्ष करीब 12 बिलियन एकत्रित होते हैं अपशिष्ट, सही जागरूकता से हो सकता है बचाव
गाजीपुर। भारत में लगभग 33 करोड़ से अधिक महिलाएं माहवारी से होती है जिसमें से 36 प्रतिशत यानि लगभग 12 करोड़ से अधिक सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करती है। यदि प्रति महिला हर माह 8 पैड का प्रयोग करने का अनुमान लगाया जाए तो लगभग हर माह 100 करोड़ से अधिक अपशिष्ट पैड एकत्रित होते हैं। यही आकंड़ा बढ़कर साल में करीब 1200 करोड़ पर पहुँच जाता है। मेनस्टु्रअल हेल्थ अलायन्स इंडिया (एमएचएआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपशिष्ट प्रबंधन का सही तरीके की जानकारी या उपलब्धता न होने की वजह से ग्रामीण स्तर पर और कई जगह शहरी क्षेत्र में इस्तेमाल किए गए पैड या कपड़े को ऐसे ही खुले में फेंक देती हैं, जो पर्यावरण के हित में नहीं है। वहीं कुछ लड़कियां सही जगह न मिल पाने के कारण काफी समय तक एक ही पैड या कपड़े को प्रयोग करती है जिससे उनमें संक्रमण का खतरा बना रहता है। मासिक धर्म के दौरान प्रयोग किए जाने वाले साधन- मासिक धर्म एक दौरान तीन तरह साधन प्रयोग किए जाते है पुनः प्रयोग किए जाने वाले साधन जैसे कि कपड़ा, मासिक धर्म कप एक बार प्रयोग में लाये जाने वाले पैड, टैंपोन्स- इन साधनों में केमिकल, सुपर शोषक पॉलीमर (एसएपी) होता है। एक बार प्रयोग में लाये जाने वाले पैड। भारत में अपशिष्ट से निपटने के लिए कोई आदर्श तरीका नही है, लेकिन कुछ उपायों से हम अपशिष्ट के भार को कम कर सकते हैं। इसके लिए मासिक धर्म के दौरान ऐसे उत्पादों को अपनाना होगा जो पुनः प्रयोग में लाये जा सकते है। साथ ही प्रयोग किए जा रहे पैड को रासायनिक उपचार एवं अन्य तकनीक से इसके हानिकारक कारकों को निष्फल कर सकते हैं और अपशिष्ट को जलाकर, गहरे गद्दे में गाढ़ कर खाद रूप में बनाकर कचरे की संरचना को बदल सकते हैं।