क्वारंटाइन व आइसोलेशन में समझें फर्क, कोरोना संक्रमण से बचाता है क्वारंटाइन लेकिन आइसोलेशन का ये होता है काम





ग़ाज़ीपुर। कोरोना संक्रमण के इस दौर में आइसोलेशन और क्वारंटाइन यह दो शब्द तेजी से उभरे हैं। कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग उन सभी लोगों को क्वारंटाइन की सलाह देती है जो विदेश अथवा किसी दूसरे राज्य की यात्रा करके आए हो या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये हों। क्वारंटाइन के दौरान संबंधित व्यक्ति को भी 14 दिन तक देखभाल में रखा जाता है। इस दौरान उसे आवश्यक उपचार व डॉक्टर की सलाह से दी जाती हैं। प्रत्येक जिले में जगह-जगह पर क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। इसके अलावा होम क्वारंटाइन होने के लिए कोई व्यक्ति अपने घर का एक कमरे का चुनाव भी कर सकता है ताकि वह स्वस्थ लोगों से दूर रह सके। होम क्वारंटाइन के जरिए ही आप खुद को और अपने परिवार को कोरोना के संक्रमण से बचा सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर इसके बारे में लोगों को जानकारी दी है। एसीएमओ डॉ प्रगति कुमार ने बताया कि अपने घर के ऐसे कमरे में रहें जो हवादार हो और जिसमें शौचालय की सुविधा हो। यदि किसी अन्य सदस्य को उसी कमरे में रहना पड़े तो एक मीटर की दूरी जरूर बनाएं। होम क्वारंटाइन में रहने वाले व्यक्ति घर के बुज़ुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों से दूरी बनाकर रहें। ऐसे व्यक्ति किसी भी भीड़-भाड़ वाली जगह ना जाए। हाथों को साबुन से बार-बार धोएं और अल्कोहालयुक्त हैंड सैनेटाइज़र का इस्तेमाल करें। अपने कपड़े, बिस्तर और बर्तन के सिवाए दूसरों के सामानों को न छुएं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सर्जिकल मास्क लगाकर रहें। मास्क को हर 6-8 घंटे में मास्क बदल दें, पुराने मास्क को किसी बंद ढक्कन वाले कूड़ेदान में फेंके। कमरे की साफ-सफाई करने से पहले हाथों में दस्ताने पहनें। जब दस्ताने उतारें तब हाथों को अच्छे से धोएं और सैनेटाइज करें। होम क्वारंटाइन व्यक्ति की देखभाल घर का कोई एक सदस्य ही करे, यह व्यक्ति क्वारंटाइन व्यक्ति की त्वचा से सीधे संपर्क से परहेज करें। बाहरी लोगों और मेहमानों को घर में न बुलाएं। कम से कम 14 दिनों तक तो ऐसा करें ही जब तक कि रिपोर्ट नेगेटिव न आ जाए। वहीं एसीएमओ डॉ केके वर्मा ने आइसोलेशन और क्वारंटाइन में अंतर के बारे में अंतर बताते हुए कहा की आइसोलेशन उस व्यक्ति को किया जाता है जो कोरोना वायरस संक्रमित हो जाता है और उसके संक्रमण होने की पुष्टि डॉक्टर द्वारा कर ली जाती है। आइसोलेशन के दौरान उन्हें पूरी तरह की सुविधा दी जाती है उनका ख्याल रखा जाता है और साथ ही उन्हें सभी प्रकार की दवाइयां देकर स्वस्थ करने की प्रक्रिया 14 दिन तक अपनाई जाती है। आइसोलेशन वार्ड घर से दूर किसी एकांत स्थान पर होते हैं।



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