वाह! सैदपुर और मरदह की दो नर्सों को मिलेगा फ्लोरेंस नाइटेंगल पुरस्कार, मंत्रालय करेगा सम्मानित





ग़ाज़ीपुर। स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रति वर्ष जनपद स्तर पर बेहतर कार्य करने और सुरक्षित प्रसव कराने वाली स्टाफ नर्सों का चयन कर प्रदेश स्तर पर फ्लोरेंस नाइटेंगल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इसके लिए प्रत्येक जनपद से दो स्टाफ नर्सों का नाम पुरस्कार के लिए नामित किया जाता है। इस क्रम में जनपद गाज़ीपुर से मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से दो स्टाफ नर्सों का नाम पुरस्कार के लिए निदेशालय भेजा गया है । मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ॰ जीसी मौर्य ने बताया कि स्वास्थ्य निदेशालय से आए हुए पत्र के क्रम में महिला चिकित्सालय सैदपुर में कार्यरत स्टाफ नर्स सुशीला देवी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरदह पर तैनात आशा चौधरी का नाम चयनित किया गया है। यह दोनों अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच बेहतर सेवा देने और सुरक्षित प्रसव कराने के लिए उपयुक्त पाई गई है। बताया कि प्रत्येक जनपद से दो स्टाफ नर्सों का नाम निदेशालय को भेजा गया है। इसके बाद इन सभी नामों में से प्रदेश स्तर पर बेहतर कार्य करने वाली स्टाफ नर्स का चयन कर प्रदेश स्तर पर स्थान लाने वाली स्टाफ नर्सों को यह पुरस्कार प्रदेश स्तर पर दिया जाएगा। इस पुरस्कार के लिए चयनित स्टाफ नर्सों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से एक प्रशस्ति पत्र मेडल और 50000 रुपए का चेक प्रदान किया जाता है। बता दें कि आधुनिक नर्सिंग की जनक मानीं जाने वाले फ्लोंरेंस नाइटेंगल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। हालांकि फ्लोरेंस नाइटेंगल का जन्म एक धनी परिवार में हुआ था, लेकिन आरामदायक जीवन बिताने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनके मन में मानवता के प्रति बेहद प्यार था लेकिन जब फ्लोरेंस ने नर्स बनने की ठानी तो वह काफी मुश्किल दौर था। उन दिनों में अच्छे परिवारों की महिलाएं नर्स नहीं बनती थी। उन्हें बहुत कम धन मिलता था। साथ ही उनका कोई आदर नहीं करता था। लेकिन फ्लोरेंस ने इन सब की परवाह नहीं की। इसके बाद उन्होने नर्स बनने की योजना बना ली। उन्हें पहला मौका तब मिला जब उनकी दादी बीमार हो गईं। फ्लोरेंस उनके साथ ही रहीं और उनकी देखभाल की। लेकिन वह धीरे-धीरे जान गई थी कि वह ठीक प्रकार से काम नहीं कर पा रही है इसलिए उन्होंने दवाओं के विषय में किताबें पढ़ना शुरू किया। कुछ सालों बाद उन्हें जर्मनी जाने का मौका मिला जहां उन्हें एक अस्पताल में नर्सिंग सीखने के लिए मौका मिला और उसमें सफल हुईं। इसके पश्चात वह आधुनिक नर्सिंग के क्षेत्र में दुनियाभर के लिए प्रेरणास्रोत बन गईं।



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