पुलिस का एक और गैर जिम्मेदाराना रवैया, गोरखा रेजीमेंट के जवानों से दुर्व्यवहार का लग रहा आरोप
खानपुर, गाजीपुर। वाराणसी से गोरखपुर जा रही रोडवेज बस में शनिवार की देररात विंडग्लास को खोलने को लेकर गोरखा रेजीमेंट के सैनिक व गाजीपुर के कोचिंग संचालक के बीच विवाद होने लगा। जिसके बाद सूचना पर बस को सिधौना चौकी इंचार्ज ने चौकी के सामने रूकवाया। इसके बाद दोनों पक्षों को उतारकर उनके बीच सुलह कराकर उन्हें दूसरी बस से आगे भेजा गया। वहीं नौतनवा जा रहे फौजी पक्ष का आरोप है कि दूसरा पक्ष खुद को पुलिस कर्मी बताकर धौंस दे रहा था। परिचय पत्र मांगने पर गाली देने लगा। इधर दूसरे पक्ष का कहना है कि सेना के जवानों ने जमकर शराब पी हुई थी और वो शीशे को बार बार बंद कर दे रहे थे। खोलने के लिए कहने पर उन्होंने मुझे मारा पीटा।
वाराणसी डिपो की रोडवेज बस शनिवार को चली। इस बची वाराणसी में ही शीशे को खोलने को लेकर गाजीपुर निवासी कोचिंग संचालक से गोरखा रेजीमेंट के दो जवानों का विवाद हो गया। प्रत्यक्षदर्शी परसनी निवासी मनोज सिंह ने बताया कि इसके बाद कोचिंग संचालक खुद को पुलिस कर्मी बताते हुए धौंस जमाने लगा तो जवानों ने उससे पुलिस पहचान पत्र मांगा तो उसने कहा कि चलो, सिधौना चौकी पर दे रहे हैं। आरोप है कि सिधौना चौकी पर उसने किसी को फोन कर दिया जिसके बाद बस को चौकी इंचार्ज जितेंद्र सिंह ने सिधौना चौकी पर रोक लिया। इसके बाद दोनों पक्षों को उतरवाया। मनोज ने बताया कि पुलिसकर्मी जवानों संग दुर्व्यवहार करने लगे तो उन्हें रोका गया। इसके बाद मनोज को वीडियो बनाता देख मनोज संग भी दुर्व्यवहार किया गया। काफी देर बाद यात्रियों के कहने पर दोनों पक्षों को उतरवाकर बस को आगे रवाना कर दिया गया। इसके बाद पहुंचे कोतवाल शरदचंद्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों के बीच सुलह कराकर दूसरी बस से उन्हें गंतव्य को रवाना किया। इस बाबत चौकी इंचार्ज ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच सिर्फ सुलह कराया गया और किसी भी तरह का किसी संग दुर्व्यवहार नहीं किया गया। बहरहाल लोगों का कहना है कि अभी लखनऊ में सिपाही द्वारा आम आदमी का एनकाउंटर किए जाने की घटना को ठीक से 72 घंटे भी नहीं बीते कि पुलिस का एक और किस्सा सामने आ गया। गौतरबल है कि लखनऊ में दो सिपाहियों द्वारा गोली मारकर एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर की गोली मारकर न सिर्फ हत्या कर दी गई बल्कि मृतक को अपराधी साबित करने की भी पुलिस द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है। साथ ही आरोप है कि पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शी को डरा धमका कर एफआईआर भी बेहद कमजोर लिखवाई है जिसमें दोनों सिपाहियों का नाम तक का जिक्र नहीं है।