भभौरा में नशे में धुत बोलेरो चालक ने कांवरियों के जत्थे को रौंदा, 2 बाल कांवरियों की मौत, 1 घायल, सहमकर कई कांवरिया बीमार
खानपुर। थानाक्षेत्र के भभौरा में नशे में धुत्त बोलेरो चालक ने अपनी तेज रफ़्तार अनियंत्रित बोलेरो से जत्थे में जा रहे कांवरियों को रौंद दिया। घटना में 2 बाल कांवरियों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गईं, वहीं एक कांवरिया बुरी तरह घायल हो गया। इसके अलावा कई कांवरिये मौत से बाल-बाल बचकर डर का शिकार हो गए और बीमार हो गए। सभी को तत्काल सैदपुर सीएचसी लाया गया, जहां 2 को मृत घोषित कर दिया गया। वहीं एक घायल को रेफर कर दिया गया। मौके पर पहुंची खानपुर व सैदपुर थाने की फोर्स सहित सीओ शेखर सेंगर ने घायल व प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की। अमेंदा गांव से करीब एक दर्जन कांवरियों का जत्था कांवर लेकर जा रहा था। उसमें अधिकांश लोग 13 से 17 वर्ष के बीच के थे। अभी वो भभौरा में ही पहुंचे थे। तभी आजमगढ़ की तरफ से लहराते हुए आ रही तेज रफ्तार बोलेरो ने कांवरियों को रौंद दिया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि देखने से लग रहा था कि चालक नशे में धुत्त होकर गाड़ी चला रहा था। रौंदने के बाद उसी तरह वो गाड़ी लहराते हुए फरार हो गया। इधर घटना के बाद मौके पर कांवरियों की चीख पुकार मच गई। आसपास के लोग तत्काल सभी लेकर सीएचसी पहुंचाया। जहां चिकित्सकों ने 13 वर्षीय आदित्य राजभर मटरू पुत्र स्व. रविन्द्र राजभर व 16 वर्षीय कौशल राजभर पुत्र लालबहादुर राजभर निवासी अमेंदा को मृत घोषित कर दिया। वहीं गम्भीर रूप से घायल 17 वर्षीय सुंदर राजभर पुत्र नरेश निवासी उधरा शिवका मेहनाजपुर आजमगढ़ को प्राथमिक इलाज के बाद रेफर कर दिया। इधर मौके पर अपनी आंखों से मौत को सामने देखकर कई कांवरिये इस कदर भयभीत हो गए कि वो कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। उनमें अपनी अमेंदा निवासिनी मौसी के घर आये 16 वर्षीय साहिल पुत्र नंदू राजभर निवासी अनौनी, 16 वर्षीय सत्यम राजभर पुत्र शीत बसन्त, सचिन, 14 वर्षीय विकास पुत्र सुदर्शन आदि शामिल थे। घटना के बाद अस्पताल में भी परिजनों चीख पुकार मच गई। दो भाइयों में छोटे मृतक आदित्य की मां सुनीता रोते बिलखते अस्पताल पहुंची। वो ये कहकर बिलख रही थी कि उसने आखिर सख्ती से आदित्य को क्यों नहीं रोक लिया। वो रोते हुए कहा रही थी कि उसने आदित्य को जाने से रोका था लेकिन वो नहीं माना और जब मैंने देखा कि गांव भर से कई लोग जा रहे हैं तो मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया। काश मैंने उसे ज़बरदस्ती रोक लिया होता तो आज वो जिंदा होता। इधर दूसरे मृतक की काफी देर तक अस्पताल में पहचान नहीं हो सकी थी। गांव के लोग ही उसे नहीं पहचान पा रहे थे। एक बार तो उसका नाम किसी और का बता दिया। बाद में जाकर ग्रामीणों ने ही उसकी शिनाख्त कौशल पुत्र लालबहादुर के रूप में की। जिसके बाद उसके परिजनों को सूचना देकर शव को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। मुख्यमंत्री द्वारा सुरक्षा के तमाम दावे के बीच एक साथ दो कांवरियों की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद प्रशासन में भी हड़कम्प मचा हुआ है। देररात तक क्षेत्राधिकारी अस्पताल में ही मौजूद हैं। बता दें कि मृतक आदित्य के पिता की भी अभी कुछ माह पूर्व ही मौत हुई थी। दुःख खत्म होने के पहले ही परिवार पर फिर से दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है।