जमानियां में 120 साल में साढ़े 8 हजार प्रतिशत मतदाता बढ़े, 118 साल पुरानी उर्दू मतदाता सूची के लिए एशिया रिकार्ड्स में दर्ज हुआ कुंवर नसीम का नाम
दिलदारनगर। नगर के अल दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड रिसर्च सेंटर के संस्थापक, निदेशक व संग्रहकर्ता कुंवर नसीम रज़ा ने संग्रहालय के लिए पिछले 20 वर्षों से कई पांडुलिपियों व दुर्लभ प्राचीन वस्तुओं का संग्रह कर रखा है। इन्हीं में से एक 118 वर्ष पुराना भारतीय उर्दू भाषा मतदाता सूची है। जिसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप मे संरक्षित करते हुए उनका नाम इसके लिए एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड-2024 में दर्ज किया गया है। इस उपलब्धि के बाद पूरे जनपद सहित प्रदेश का नाम रोशन हुआ है और लोगों में हर्ष का माहौल है। इस उपलब्धि के बाद एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा उन्हें कुरियर के जरिए एक सर्टिफिकेट, मेडल, बैज, पेन व गाड़ी स्टीकर भेजा गया है। सर्टिफिकेट पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वियतनाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, नेपाल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रधान संपादक एवं संग्रहालय, इंडोनेशिया के उप निदेशक तथा एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स मलेशिया के अध्यक्ष सहित पांच देशों के उच्च स्तरीय अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। इसके अलावा दो माह पूर्व ही इस मतदाता सूची को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। नसीम ने बताया कि संग्रहालय में उर्दू में प्रकाशित मतदाता सूची में सर्वप्रथम 1904-1905 ई., 1906-1907 ई., 1918-1919 ई. व 1945 ई. के कुल 5 मतदाता सूची सुरक्षित किए गए हैं। मतदाता सूची ब्रिटिश शासन काल में गाजीपुर के ज़मानियां क्षेत्र के हैं। प्रत्येक वर्ष के मतदाता सूची में सिर्फ 50 पुरुषों के नाम अंकित किए गए हैं। तब इस तहसील में कुल सिर्फ 50 वोटर ही पंजीकृत थे और उन्हीं 50 वोटरों में से 4 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। बाकी 46 सदस्य उन 4 प्रत्याशियों के लिए मतदान करते थे। हार-जीत के बाद चुने गए एक मेंबर ’लोकल बोर्ड मेंबर’ कहलाते थे, जो क्षेत्र के विकास के लिए काम करते थे। आजादी से पूर्व वर्ष 1900 ई. में तहसील क्षेत्र के विकास के लिए लोगों का चुनाव किया जाता था। मतदाता सूची तैयार करने के लिए क्षेत्र के हर गांव से तीन-चार सम्मानित लोगों का चयन किया जाता था। इस तरह कुल 50 लोगों की सूची तैयार की जाती थी और इन्हीं में से उनकी योग्यता के अनुसार चार लोगों को उम्मीदवार बनाया जाता था। उसमें से चयनित लोकल बोर्ड प्रत्याशी ही क्षेत्र के विकास के लिए अपनी समस्याओं को जिला बोर्ड में रखते थे। इस मतदाता सूची में क्षेत्र के जमींदारों एवं मुखियाओं तथा सम्मानित व्यक्ति को रखा जाता था। जो सरकार को लगान अथवा कर जमा करते थे। उन्हीं लोगों को वोट देने का अधिकार था। यह मतदाता सूची कुंवर नसीम रज़ा ख़ान को उनके पूर्वजों से प्राप्त हुआ है। जिसमें इनके परिवार के चार पूर्वज ज़मींदारों के नाम दर्ज हैं। अंग्रेजों ने वर्ष 1857 के बाद लोकल सेल्फ गवर्नमेंट कानून पारित किया और कुछ वर्षों बाद वर्ष 1884 में इसे पूरी तरह से लागू कर दिया गया। इसका उपयोग स्थानीय विकास के लिए किया जाता था। स्थानीय समस्याओं के निवारण के लिए कमेटी का चयन किया जाता था। इस सूची में वही लोग सदस्य बनाए जाते थे जो करदाता होते थे। चयनित सदस्य स्थानीय मुद्दों को उठाकर उनका निवारण करते थे। हालांकि इसमें संशोधन के बाद पहली बार इलेक्शन एक्ट 1909 में पारित हुआ था, इसके बाद बदलते समय के साथ लगातार इसमें संशोधन भी होते रहे। जमानियां में 1904 से लेकर अब तक मतदाताओं की संख्या में करीब साढ़े 8 हजार गुना की वृद्धि हुई है और ये बड़ा रिकार्ड है। 2022 के विस चुनाव में यहां के मतदाताओं की संख्या 4 लाख 25 हजार 978 थी। नसीम की इस दोहरी उपलब्धि पर लोग बधाईयां दे रहे हैं।