धनईपुर में संत सम्मेलन व रूद्र महायज्ञ का हुआ आयोजन, वृंदावन की मशहूर टीम ने किया रासलीला का मंचन
देवकली। क्षेत्र के धनईपुर में चल रहे संत सम्मेलन व व रुद्र महायज्ञ के 5वें दिन प्रवचन हुआ। आयोजक व संत धनश्यामाचार्य बालक स्वामी ने कहा कि ईश्वर न आम में है, न खास में, न आकाश में है, न ही पाताल में। यदि हम प्रेम से पुकारें तो ईश्वर हमारे पास में है। कहा कि भाव से पुकारने पर वो सर्वत्र विराजमान है। हम इंसानों के साथ ही पहाड़, नदियां, पेड़, पौधों को भी ईश्वर ने ही बनाया है। कहा कि जब-जब धरती पर आसुरी प्रवृत्ति के लोगों का अत्याचार बढ़ा है, ईश्वर ने किसी न किसी रूप में भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया है। कहा कि राजा दशरथ ने गुरु वशिष्ठ के पास जाकर अपनी व्यथा का वर्णन किया तो गुरु वशिष्ठ ने ऋंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया। मिले प्रसाद को रानियों में बांटने को दिया। राजा दशरथ ने उस प्रसाद का आधा भाग अपनी प्रिय रानी कौशिल्या को तथा आधे हिस्से में दो भाग करके सुमित्रा व कैकेई को दिया। लेकिन सुमित्रा का प्रसाद पक्षी लेकर उड़ गया। जिसके बाद कौशिल्या व कैकेई ने अपने-अपने प्रसाद से आधा-आधा हिस्सा सुमित्रा को दिया। जिसके चलते सुमित्रा को लक्ष्मण व भरत हुए। कहा कि प्रवचन कार्यक्रम रोजाना दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक चलता है। इसके बाद रात 8 से 12 बजे तक वृन्दावन की मशहूर रासलीला मण्डली द्वारा श्रीकृष्ण जीवन चरित्र पर आधारित रासलीला भी होता है। इसकी पूर्णाहुति 8 मार्च को होगी और वृहद भंडारा भी किया जाएगा।