कुष्ठ रोगियों को स्वरक्षा अभ्यास का पढ़ाया गया पाठ, इस अभ्यास से सामान्य जीवन जी सकते हैं दिव्यांग कुष्ठ रोगी





गोरखपुर। कुष्ठ से हुई दिव्यांगता को भले ही समाप्त न किया जा सके लेकिन स्वरक्षा अभ्यास से इसके कुप्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। कुष्ठ प्रभावित अंग की सही से देखभाल करने और निरंतर व्यायाम करने से मरीज को काफी आराम मिलता है और वह अपने दिनचर्या से जुड़े कार्य कर सकता है। चरगांवा ब्लॉक में 34 ऐसे दिव्यांग कुष्ठ रोगी हैं जिन्हें स्वरक्षा अभ्यास में पारंगत किया जा चुका है। यह जानकारी जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने दी। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोगियों के स्वरक्षा कार्यक्रम में बेहतर योगदान के लिए चरगांवा ब्लॉक के नान मेडिकल असिस्टेंट (एनएमए) विनय श्रीवास्तव को एनएलआर इंडिया फाउंडेशन द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया है। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि फाउंडेशन के सहयोग से ही कुष्ठ रोगियों को स्वरक्षा अभ्यास सिखाया गया है। उन्हें बताया गया कि कुष्ठ प्रभावित अंग को पहले सामान्य पानी में भिगोना है। प्रभावित अंग को रगड़ना नहीं है। इसके बाद प्रभावित अंग पर नारियल या सरसो का मुलायम तेल लगाना है। नियमित तौर पर इस प्रकार देखभाल करने से घाव नहीं बनने पाता है। इसके लिए दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पताल से सेल्फ केयर किट भी दी जाती है। पैरों में घाव वाले मरीजों को एमसीआर चप्पल दी जाती है। मरीजों को व्यायाम भी सिखाए जाते हैं ताकि प्रभावित अंग ठीक से काम करते रहें। व्यायाम सीखने के लिए मरीज असुरन चौक स्थित जिला कुष्ठ रोग कार्यालय पर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ आसिफ से भी सम्पर्क कर सकते हैं। एनएमए विनय श्रीवास्तव ने बताया कि एनएलआर इंडिया फाउंडेशन के समन्वयक विपिन सिंह के सहयोग से जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला की देखरेख में मार्च 2023 से प्रत्येक तीन माह पर कैंप लगाया गया। इस कैंप के जरिये कुष्ठ रोगियों को स्वरक्षा अभ्यास और व्यायाम सिखाया गया। ब्लॉक स्तर पर कुष्ठ रोगी जयप्रकाश को चैम्पियन भी बनाया गया है। इस चैम्पियन और बाकी प्रशिक्षित कुष्ठ रोगियों को मॉडल के तौर पर प्रदर्शित कर बाकी दिव्यांग कुष्ठ रोगियों का भी मनोबल बढ़ाया जाएगा। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी से आई विकृति और दिव्यांगता लाइलाज है लेकिन ऐसी स्थिति आने से बचा जा सकता है। अगर शरीर पर कोई सुन्न दाग-धब्बा है जो चमड़े से हल्के रंग का है तो यह कुष्ठ हो सकता है। इसकी जांच हो जाने पर सम्पूर्ण इलाज उपलब्ध है। दवाएं भी ब्लॉक स्तर से मिल जाती हैं। प्रारंभिक लक्षण दिखने के बाद भी लापरवारी बरतने पर कुष्ठ दिव्यांग बना सकता है। नये कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए चार जनवरी तक अभियान चल रहा है, जिसके तहत स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जा रहे हैं। लक्षणों की सूचना देकर कुष्ठ उन्मूलन में लोग उनकी मदद कर सकते हैं।



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