देवकली में शुरू हुआ 49वां सात दिवसीय मानस सम्मेलन, रामचरित मानस की सुनाई गाथा
देवकली। स्थानीय ब्रह्म स्थल परिसर में मानस परिषद के तत्वावधान में 49वां सप्त दिवसीय मानस सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रवचन के प्रथम दिन झांसी से आये हुए आचार्य विनोद शास्त्री ने अपने संगीत मय प्रवचन के दौरान कहा कि रामचरितमानस एक आदर्श ग्रन्थ है। ये पूरे विश्व में पूज्य है। कहा कि इसमें सभी पात्र आदर्शों से परिपूर्ण हैं। कहा कि भाई से भाई, पिता-पुत्र, सास-बहू, मित्र-मित्र, पति-पत्नी आदि के बीच कैसा संबंध होना चाहिए, इसकी सम्पूर्ण शिक्षा इस ग्रंथ से मिलती है। कहा कि सनातन धर्म की जड़ें गहरी हैं। विदेशी ताकतों द्वारा हमला करने के बावजूद सनातन धर्म लगातार बना हुआ है। कहा कि आज हम लोग पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहे हैं और यही हमारे व हमारी संस्कृति के पतन का कारण है। उन्होंने माता सती के बाबत कहा कि शबरी ने अपने गुरु के वचन पर विश्वास करके प्रतीक्षा किया तो सदियों बाद उन्हें भगवान श्रीराम के दर्शन हुए और माता सती ने परीक्षा लिया तो उन्हें पति से वियोग झेलना पड़ा। कहा कि सीता हरण के पश्चात भगवान शिव पार्वती जंगल मे विचरण कर रहे थे। भगवान शिव ने भगवान श्रीराम को प्रणाम किया तो सती को भ्रम हो गया। बार-बार समझाने के बाद भी नहीं मानीं तो भगवान शिव ने कहा जाकर परीक्षा ले लो। माता सती ने मां सीता का रुप बनाकर परीक्षा लिया, जिसके चलते शरीर का त्याग करना पड़ा। इस मौके पर अर्जुन पाण्डेय, रामनरेश मौर्य, नरेन्द्र मौर्य, दयाराम गुप्ता, रामकुंवर शर्मा, रामसुधार पाण्डेय, अवधेश मौर्य आदि रहे। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया।