लक्षण दिखते ही इन 73 स्थानों में से कहीं से भी कराएं टीबी की निःशुल्क जांच, पुलिस लाइन में हुआ जागरूकता कार्यक्रम
गोरखपुर। अगर दो सप्ताह तक लगातार खांसी आए, तेजी से वजन गिर रहा हो, रात में पसीने के साथ बुखार आए, बलगम में खून आए और भूख न लगे तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर जिले में 73 स्थानों पर टीबी की निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है। जिले में बनाए गए 24 टीबी यूनिट (टीयू) पर तैनात सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर की मदद ली जा सकती है और इन स्थानों से भी टीबी की निःशुल्क दवाइयां दी जाती हैं। सभी 49 डीएमसी पर भी जांच व दवा निःशुल्क है। यह जानकारी प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान शनिवार को दीं। कार्यक्रम में पहुंची राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन की टीम ने पुलिसकर्मियों को बीमारी, इससे बचाव व उन्मूलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पुलिसकर्मियों के संवेदीकरण की पहल एसपी ट्रैफिक डॉ एमपी सिंह और प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी ने संयुक्त तौर पर की। पुलिसकर्मियों को टीबी उन्मूलन में योगदान देने की शपथ भी दिलाई गयी। एसपी ट्रैफिक ने आश्वासन दिया कि वह ट्रैफिक जनजागरूकता कार्यक्रमों के दौरान यथासंभव टीबी के प्रति भी जनजागरूकता का प्रयास करेंगे। इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के जरिये भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। कार्यक्रम में उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप द्वारा पुलिसकर्मियों को बताया कि वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के भारत सरकार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि समय से टीबी की जांच हो और त्वरित इलाज शुरू किया जाए। टीबी की दवा का पूरा कोर्स लिया जाए और बिना चिकित्सक की सलाह के दवा बंद न की जाए। इलाज की अवधि में पोषक आहार जैसे अंडा, पनीर, मांस, सोयाबीन, दलिया, चना और हरी साग सब्जी का सेवन आवश्यक है। दवा नियमित तौर पर खाना है। बीच में दवा बंद कर देने से टीबी मास ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) में बदल जाता है जिसका इलाज काफी महंगा है और इलाज के दौरान काफी परेशानी भी होती है। प्रभारी डीटीओ डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि टीबी जांच की सीबीनॉट सुविधा जिला क्षय रोग केंद्र, बडहलगंज सीएचसी और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है। जिला क्षय रोग केंद्र, जिला अस्पताल, एम्स गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, भटहट, कैंपियरगंज, पिपराईच, सहजनवां और गगहा में ट्रूनॉट जांच की सुविधा भी उपलब्ध है। इन जांचों से एमडीआर टीबी का पता भी लगाया जाता है। टीबी की समय से जांच व इलाज से यह बीमारी ठीक हो जाती है। टीबी चैंपियन चंद्रप्रकाश ने भी अपने अनुभव साझा किये। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन की टीम से मिर्जा आफताब बेग, इंद्रनील, अभिनंदन, ओमप्रकाश, कमलेश कुमार गुप्ता और राजकुमार ने सहयोग किया। ट्रैफिक इंस्पेक्टर मनोज राय और अजीत पांडेय समेत सैकड़ों पुलिसकर्मी कार्यक्रम में मौजूद रहे और शपथ भी ली। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह ने बताया कि जिला क्षय रोग केंद्र, बांसगांव, गगहा, कौड़ीराम, कैंपियरगंज, पीपीगंज, जंगल कौड़िया, गोला, बड़हलगंज, डेरवा, पिपराईच, चरगांवा, सहजनवां, पाली, पिपरौली, सरदारनगर, ब्रह्मपुर, खोराबार, उरूवा, बेलघाट, खजनी, हरनही, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और भटहट में टीबी यूनिट उपलब्ध है जहां से निःशुल्क दवा मिलती है। जिले में 49 डेजिगनेटेड मेडिकल सेंटर (डीएमसी) पर भी टीबी के माइक्रोस्कोपिक जांच व निःशुल्क दवा की सुविधा उपलब्ध है। यह डीएमसी टीयू के अंतर्गत काम करते हैं। जिला क्षय रोग केंद्र, जिला अस्पताल, 100 बेड टीबी अस्पताल, बशारतपुर, एम्स गोरखपुर, बांसगांव, गगहा, हाटा, कौड़ीराम, गजपुर, डंवरपाल, मलाव, बासूडीहा, कैंपियरगंज, पीपीगंज, जंगल कौड़िया, डोहरिया, गोला, नेवाईचपार, बड़हलगंज, डेरवा, पिपराईच, सिंहोरिया, एयरफोर्स, चरगांवा, महराजगंज, सहजनवां, भिटी, सोनबरसा, पाली, पिपरौली, सरदारनगर, चौरीचौरा, डुमरी खास, ब्रह्मपुर, बरही, विशुनपुरा, खोराबार, बेलवार, लालपुरटीकर, उरूवा, ढेबरा, बेलघाट, खजनी, हरनही, बीआरडी रेलवे अस्पताल, भटहट और जैनपुर में डीएमसी बनाये गये हैं जहां से टीबी मरीजों की मदद हो रही है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के ड्रिस्ट्रिक्ट पब्लिक प्राइवेट मिक्स (पीपीएम) समन्वयक अभय नारायण मिश्र ने बताया कि अगर किसी को टीबी की जांच, इलाज व दवा में परेशानी हो रही हो या अन्य कोई टीबी संबंधित मदद चाहता हो 8299807923 मोबाइल नंबर पर फोन कर सकता है।