उद्घाटन के पूर्व ही टूटा पीएम मोदी का सपना, एनएचएआई व पीडब्ल्यूडी की लापरवाही के चलते बीच में से टूटा गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन का पुल, हो सकता था गंभीर हादसा
सैदपुर। प्रदेश का पीडब्ल्यूडी व केंद्र का एनएचएआई अपने काम व लोगों की सुरक्षा को लेकर कितना सतर्क व जागरूक है, इसकी बानगी रविवार की रात में सैदपुर में देखने को मिली। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी-गोरखपुर फोरलेन पर बने एक पुल की सड़क बीच से धराशायी हो गई। करीब दो फुट के दायरे में टूटी ये सड़क न सिर्फ ऊपर से टूटी है, बल्कि आरपार हो गई है और सड़क के नीचे से गुजर रही रेलवे लाइन भी ऊपर से दिख रही है। संयोग अच्छा था कि पुल का सिर्फ उतरा हिस्सा ही टूटा, अन्यथा बहुत बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता था। ऐसा तब हुआ है, जबकि अब तक सड़क न तो पूरी हुई है और न ही इसका अब तक आधिकारिक उद्घाटन हुआ है। गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन सैदपुर से होकर गुजरती है। औड़िहार के पास मौजूद पहले पुल के नीचे से रेल लाइन गुजरी है। 18 दिसंबर 2018 में बने पुल के छठवें पिलर के ठीक ऊपर का एक हिस्सा करीब दो फुट में टूट गया और सड़क आरपार दिखने लगी। संयोग अच्छा था कि उस मार्ग से कोई भारी वाहन दोबारा नहीं गुजरा, अन्यथा वो पुल समेत नीचे भी धंस सकता था। इस बीच सुबह में सड़क टूटने की शिकायत मिली तो कर्मी वहां पहुंचे और बैरिकेडिंग का कोरम पूरा कर चले गए। जबकि पुल का ऊपरी सतह पिच का बना है और नीचे कंक्रीट से ढलाई की गई है लेकिन सड़क की गुणवत्ता इस कदर बेकार रही कि पुल की सड़क उद्घाटन के पूर्व ही धराशायी हो गई। देखने से भी साफ प्रतीत हो रहा है कि पुल के नीचे ढाला गया हिस्सा बेहद पतला व कमजोर है। ऐसे में विभाग ने किस तरह से लोगों की जान से समझौता किया है, ये सोचने योग्य है। बता दें कि विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उड़नखटोला सैदपुर पहुंचा था कि और इसी पुल के आगे बने दूसरे पुल पर उतारकर अधिकारियों ने सड़क के गुणवत्ता संबंधी वाहवाही भी बटोरी थी। लेकिन आज पुल ने अधिकारियों के काम को प्रत्यक्ष प्रमाण दे दिया। ऐसा नहीं है कि गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन में ये पहली नाकामी दिखी है। बल्कि पूरे फोरलेन में हजारों स्थान पर सड़क में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। इन दरारों को पहले तो विभाग ने तोड़वाकर नए सिरे से बनवाना शुरू किया लेकिन जब ये दरारें हजारों स्थान पर होने का पता चला तो अब विभाग सड़क के टूटे हिस्से को तोड़वाकर मरम्मत कराने की बजाय सिर्फ दरार वाले स्थानों को ही कटवाकर उसमें केमिकल भरवाकर उन पर चकत्ती लगाने जैसा मरम्मत कराकर कोरम पूरा कर रहा है। बता दें कि 2016 में नितिन गडकरी द्वारा शिलान्यास वाली कुल 65 किलोमीटर लंबी इस सड़क की लागत 1031 करोड़ रूपए है और इसे 3 के तय डेडलाइन में 2019 में ही पूरा होना था। लेकिन आज 6 साल बीत चुके हैं और सड़क अब तक पूरी न हो सकी है। ऐसे में उद्घाटन के पूर्व ही सड़क में हजारों स्थानों पर दरार व अब पुल में छेद अधिकारियों व विभाग की मनोस्थिति को साबित करता है।