लक्षण नजर आएं तो जांच कराएं, समय से इलाज कराकर टीबी से मुक्ति पाएं, पीड़ितों ने साझा किया अनुभव
गोरखपुर। सघन क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ कैंपेन) ने अनुराधा और बबिता (बदला हुआ नाम) को टीबी मुक्त जीवन की सौगात दी है। दोनों युवतियों का कहना है कि लक्षण दिखने पर तत्काल जांच करानी चाहिए। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो दवा का पूरा कोर्स लेना चाहिए। जिले में नौ से 22 मार्च तक एक बार फिर एसीएफ कैंपेन चलाने की तैयारी है। सरदारनगर क्षेत्र की रहने वाली बबिता (27) ने बताया कि वर्ष 2019 में उन्हें काफी थकान महसूस होती थी । शाम को बुखार चढ़ जाता था। सांस लेने में दिक्कत होती थी। उसी समय एसीएफ कैंपेन चल रहा था। गांव की आशा कार्यकर्ता ने बताया कि उन्हें टीबी की जांच करानी चाहिए। कैंपेन के दौरान ही उनके बलगम की जांच हुई, जिसमें टीबी की पुष्टि हुई। जांच के बाद दवा शुरू हुई । इलाज के दौरान सभी जरूरी सावधानी बरतीं। वो थूकने के बाद उसे मिट्टी से ढक देती थीं। परिवार के साथ ही रहती थीं, लेकिन मास्क लगाती थीं। परिवार वाले इलाज के दौरान पूरा सहयोग किया और छह महीने के संपूर्ण और निःशुल्क इलाज के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो सकीं । बाहर के लोग यह नहीं जान पाए कि उन्हें टीबी हुई थी । बबिता का कहना है कि अगर बाहर के लोगों को जानकारी होती तो शायद उनके साथ भी भेदभाव होता, लेकिन सच यह है कि सतर्कता से परिवार के साथ रहने पर भी बाकी सदस्य टीबी संक्रमण से बच जाते हैं। सहजनवां क्षेत्र की रहने वाली अनुराधा (21) का कहना है कि वर्ष 2016 में उनके भाई को टीबी हुई थी। भाई के इलाज के दौरान ही एक स्वयंसेवी संस्था के जरिए एसीएफ कैंपेन के बारे में उन्हें जानकारी मिली। अनुराधा खुद कैंपेन से जुड़कर टीबी मरीजों का पता लगाने लगीं। इस कैंपेन का हिस्सा होने के कारण ही उन्हें टीबी के बारे में पर्याप्त जानकारी हो गयी थी। वर्ष 2018 में अनुराधा को लगातार एक हफ्ते तक खांसी आई। उन्हें लगा कि यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं, इसलिए उन्होंने बिना देर किये सजहनवां सीएचसी में जांच कराई। वहां टीबी की पुष्टि हुई। निःशुल्क दवाएं मिलीं और इलाज शुरू कर दिया गया। अनुराधा का कहना है कि उनकी मां ने उनका पूरा ख्याल रखा। जब भी वह दवा खाना भूल जाती तो मां ध्यान रखकर खिलाती थीं। टीबी के समय उनके कई जानने वालों ने उनके साथ भेदभाव का बर्ताव किया, लेकिन अब पूरी तरह स्वस्थ हो जाने के बाद लोगों का बर्ताव सामान्य हो गया है। भेदभाव से लोग टीबी छिपाते हैं और संक्रमण बढ़ता है जो समाज के लिए घातक है, इसलिए मरीजों के साथ सतर्कता बरतते हुए सामान्य संबंध नहीं तोड़ना चाहिए। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ रामेश्वर मिश्र ने बताया कि नौ से 22 मार्च तक प्रस्तावित एसीएफ कैंपेन के दौरान 9.61 लाख लोगों के बीच से टीबी के संभावित रोगी ढूंढे जाएंगे। ऐसे रोगियों की जांच कराने के बाद पुष्ट टीबी मरीजों का निःशुल्क उपचार शुरू होगा। दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षणों वाले लोगों को टीबी की जांच अवश्य करानी चाहिए। जिले में टीबी के 5498 सक्रिय मरीज हैं जिनका निःशुल्क इलाज चल रहा है। डीटीओ ने बताया कि एसीएफ कैंपेन में 387 टीम लगेंगी। टीम के कुल 1161 सदस्य लक्षित आबादी में घर-घर जाकर टीबी मरीज ढूंढेंगे। अभियान में 86 सुपरवाइजर, 21 मेडिकल ऑफिसर और 46 लैब टेक्नीशियन (एलटी) भी लगाए गये हैं। इनके अलावा गैर सरकारी व्यक्ति द्वारा भी टीबी मरीज का नोटिफिकेशन करवाने में मदद की जा सकती है। गैर सरकारी व्यक्ति द्वारा नया मरीज खोजने में मदद करने पर पांच सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलती है। इतना ही नहीं टीबी मरीज को इलाज के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये खाते में निक्षय पोषण योजना के तहत दिये जाते हैं।