माता-पिता की सेवा से खत्म होते हैं जन्म-जन्मांतर के विकार, व्यवहार में लाएं कथा की बातें - बाल व्यास





खानपुर। क्षेत्र के ईचवल स्थित काली मंदिर में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिन बाल व्यास गोपाल सुंदर महाराज ने श्रद्धालुओं को सद्गुरु की पहचान करके उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण के साथ भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत पर बल दिया। कहा कि भागवत कथा श्रवण और माता-पिता की सेवा से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक और आध्यात्मिक विकास होता है। कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें, अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है और व्याकुल मन को शांति व मुक्ति मिलती है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जागृत हो जाता है। पुजारी जयकिशोर पाठक ने बताया कि प्रतिदिन सुबह लक्ष्मीनारायण यज्ञ और शाम को भागवत कथा में सैकड़ों स्त्री पुरुष श्रद्धालु सम्मिलित होते है। इस मौके पर शुभम पांडेय, प्रदीप पाठक, अवधेश सिंह, योगेंद्र सिंह, संजय सिंह, रामभद्र पाठक आदि रहे।



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