अब घर-घर जाकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां देंगी ये पांच सेवाएं, शासन ने दिया निर्देश





गोरखपुर। कोविड संक्रमण बढ़ने और आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका और अहम हो गई है। नए निर्देश के मुताबिक गृह भ्रमण के दौरान अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 5 कार्यों पर प्राथमिकता से ध्यान देंगी। इसमें नवजात, कुपोषित व सैम एवं मैम बच्चों, पहले त्रैमास की गर्भवती व धात्री महिलाओं और 6 माह के बच्चों को चिह्नित कर उन्हें योजनाओं का लाभ देना शामिल है। यह जानकारी बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने दी है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि अनुपूरक आहार, परामर्श सेवाएं, वृद्धि निगरानी, आयरन की गोलियों का वितरण और संदर्भन आवश्यक सेवाएं है जो गृह भ्रमण कर जारी रखनी हैं । नवजात शिशु, अति कुपोषित बच्चों, सैम या मैम बच्चों और गर्भवती के आपदा में संक्रमित होने की आशंका अधिक होती है इसलिए उनका विशेष तौर पर ध्यान रखना आवश्यक है। ऐसे परिवारों से संपर्क करते समय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नाक और मुंह कवर करते हुए मास्क पहनना है और हाथों को साबुन अथवा सेनेटाइजर से समय-समय पर साफ करना है। अगर गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को गर्भवती, धात्री, बच्चों या परिवार के किसी सदस्य में कोविड के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इसकी सूचना उन्हें स्वास्थ्य विभाग को तत्काल देनी है। गृह भ्रमण के दौरान परिवार की बात को ध्यान से सुनना है, फिर आंकलन करना है और उचित सलाह देनी है। डीपीओ हेमंत सिंह ने बताया कि नवजात के घर गृह आधारित देखभाल और स्तनपान प्रोत्साहन की सेवा देनी है। लाभार्थी को बताना है कि मां का दूध बच्चे का सबसे बड़ा पोषण है और इसमें कोविड के उपस्थित रहने का कोई साक्ष्य नहीं है। इसलिए स्तनपान को कोविड के दौरान भी सावधानी के साथ जारी रखना है। यदि मां में कोविड के लक्षण हैं तो वह कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मॉस्क लगा कर बच्चे को स्तनपान कराएंगी। अगर स्तनपान कराने में सक्षम नहीं हैं तो कटोरी चम्मच से दूध निकालते हुए बच्चे को पिला सकती हैं। जिन घरों में अति कुपोषित, सैम, मैम बच्चे हैं वहां गृह आधारित देखभाल, वृद्धि निगरानी और आवश्यकतानुसार संदर्भन की सेवा देनी है। ऐसे स्थानों पर अनुपूरक पोषाहार के समुचित प्रयोग और उससे पौष्टक व्यंजन बनाने की विधि बतानी है। श्री सिंह ने बताया कि पहले त्रैमास की गर्भवती को गर्भावस्था में शीघ्र पंजीकरण, गर्भावस्था व धात्री महिला की अवस्था में उचित खानपान जैसे नींबू, संतरा, गाजर, ज्वार, बाजरा और दूध आदि के सेवन की सलाह देंगी। उन्हें अनुपूरक आहार से पौष्टिक भोजन बनाने की विधि बताई जाएगी। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि कम से कम 180 आयरन की गोली और 360 कैल्शियम की गोली लेनी है। छह माह की उम्र पूरी कर चुके बच्चों के अभिभावकों को पूरक आहार का महत्व बताया जाएगा और पोषाहार से पौष्टिक भोजन बनाने की विधि भी बतायी जाएगी। साफ-सफाई के जरिये बीमारी नियंत्रण के बारे में भी गृह भ्रमण के दौरान जानकारी देनी है।



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