सावधान! कहीं बदलता मौसम न दे जाए मुसीबत, रहें सावधान - डॉ. स्वतंत्र सिंह





गाजीपुर। मौसम में बदलाव होने पर इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) भी बदलती है, जिसकी वजह से एलर्जिक और वायरल संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। सुबह और शाम ठंड और दोपहर में गर्मी के वजह से इन दिनों खांसी और बुखार के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इस दौरान दिनचर्या में भी बदलाव कर लेना चाहिए ताकि सेहत दुरुस्त रहे। जिला अस्पताल में कार्यरत फिजीशियन डॉ स्वतंत्र सिंह ने बताया कि इन दिनों मौसम बहुत ही तेजी से बदल रहा है। जिसकी वजह से सुबह और शाम लगातार ठंड बढ़ रहा है। वहीं दोपहर में गर्मी जैसा माहौल हो रहा है। जिसकी वजह से खांसी, बुखार, सिर दर्द, तनाव और ब्लड प्रेशर के मरीजों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके यहां प्रतिदिन 60 से 70 मरीज आ रहे हैं। जिसमें से 40 मरीज इन बीमारियों से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि मौसम के बदलाव की वजह से लोगों में सिरदर्द की समस्या बढ़ रही है और इससे पीड़ित लोग अस्पताल में पहुंच रहे हैं। जिसके वजह से सीटी स्कैन की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह के बगैर सीटी स्कैन न कराएं। उन्होंने बताया कि इस बदलते मौसम का शिकार अधिकतर मजदूर वर्ग और पुलिसकर्मी हो रहे हैं, क्योंकि उनके द्वारा किसी भी वक्त काम किया जा रहा है। कह कि दिन में काम करने के बाद कपड़ा गीला होने से खुजली जैसी भी समस्या बढ़ रही है। डॉ स्वतंत्र ने बताया कि इन बीमारियों से बचने के लिए फलों या सब्जियों का रस और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। पौष्टिक आहार लें और बाहर के खाने से परहेज करें। ज्यादा देर तक खाली पेट न रहें। इससे इम्युनिटी प्रभावित होती है और रोगों के हमला करने की आशंका बढ़ जाती है। जो लोग पहले से किसी बीमारी की दवाएं ले रहे हैं, वह विशेष ध्यान रखें। डायबिटीज के मरीज, छोटे बच्चे और गर्भवती का बदलते मौसम में खास खयाल रखें। बहुत ठंडा पानी या अन्य पेय पदार्थ न पिएं इससे गले की समस्या हो सकती है। पंखा और एसी का सावधानी से प्रयोग करें। फिलहाल सुबह व शाम की सर्दी है इसलिए गर्म कपड़े साथ रखें व जरूरत के हिसाब से इन्हें पहन लें ताकि ठंडी हवाओं से बचा जा सके। मौसम बदलने पर डायबिटीज व सांस के रोगियों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। इस दौरान डायबिटीज के रोगियों को कमजोरी, खांसी, गले में दर्द, घुटन जैसी दिक्कतें होने लगती है। श्वांस के मरीजों को श्वांस फूलने, छींक और श्वांस लेने में तकलीफ की समस्या होने लगती है। ऐसे में मौसमी फल खाएं और संतुलित आहार लें। घर से बाहर जाने पर मरीज दवाएं साथ लेकर जाएं और मास्क का लगातार प्रयोग करें।



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