दोनों डोज के टीके से ही मिला जीवनदान, कोरोना से लड़कर मौत के मुंह से बाहर आने वालों की कहानी, उनकी जुबानी
गोरखपुर। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव कोविड के प्रथम चरण से ही नियमों के प्रति काफी सख्त रहे। घर से बाहर मास्क को चेहरे से उतरने नहीं दिया। पहले चरण में अंग्रिम पंक्ति पर काम किया और नियमों का सख्ती से पालन करते हुए कोविड से बचे रहे । कोविड के दूसरे चरण में पंचायती चुनाव के दौरान कागजी कामकाज के दौरान वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये । प्रदीप ने फरवरी में ही कोविड टीके की दोनों डोज पूरी कर ली थी । दूसरे चरण में अप्रैल के प्रथम पखवाड़े में जब कोविड हुआ तो बमुश्किल तीन से चार दिन के भीतर हालत खराब हो गयी । सांस लेने में काफी तकलीफ होने लगी। ऑक्सीजन लेवल 80 से नीचे जाने लगा तो बिना देर किये अस्पताल में भर्ती हो गये । फेफड़े काफी खराब हो चुके थे। अस्पताल परिसर में इर्द गिर्द भर्ती कई लोगों की मौत होने लगी । वह मंजर देख कर प्रदीप डर गये थे लेकिन मन के किसी कोने में टीके के प्रति विश्वास भी था । तकरीबन 20 दिन बाद प्रदीप स्वस्थ हो गये । कोविड चैंपियन प्रदीप का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उन्हें नया जीवन कोविड टीके की दोनों डोज के कारण मिला है । वह मास्क और कोविड नियमों के प्रति पहले से ज्यादा सतर्क हो चुके हैं । उनका कहना है कि टीका लगने के पहले और टीका लगने के बाद भी मास्क, हाथों की स्वच्छता और दो गज की दूरी के नियम काफी कारगर हैं । टीका कोविड की जटिलताओं को रोकता है लेकिन कोविड नियम कोविड से संक्रमित होने से बचाते हैं । अस्पताल के दिनों को याद करते हुए प्रदीप बताते हैं कि चिकित्सक जब भी राउंड पर आते थे एक ही बात बोलते थे कि जीवन मरीज के हाथ में है । वार्ड में मरीजों के सोने की मनाही थी। हर परिस्थिति में आंख बंद होने से रोकना था। जब सीटी स्कोर 14 पहुंच गया तो मन काफी भयभीत हुआ लेकिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए हालात का सामना किया । प्रदीप का कहना है कि जिन लोगों ने कोविड टीके की दोनों डोज नहीं ली है, वह दूसरा डोज अवश्य ले लें । जंगल कौड़िया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर लैब टेक्निशियन नवीन श्रीवास्तव भी कोविड टीके की दोनों डोज के लेने के बाद कोरोना संक्रमित हो गये । उनके घर में उनकी पत्नी और बेटा भी कोविड संक्रमित हुए । होम आइसोलेशन में रहने के दौरान नवीन की हालत बिगड़ गयी। सांस लेने में तकलीफ बढ़ी तो एक परिचित के अस्पताल में चले गये ताकि ऑक्सीजन की दिक्कत न हो । नवीन बताते हैं कि अंदर से डर महसूस होने लगा। वह अस्पताल में थे और पत्नी-बेटा घर पर । लेकिन दो दिन के भीतर उनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ और वह पुनः होम आइसोलेशन में लौट आए । नवीन का कहना है कि तमाम सतर्कताओं के बावजूद थोड़ी से भी चूक से कोई भी कोविड संक्रमित हो सकता है लेकिन टीका उसके लिए ढाल का काम करता है । कोविड के प्रति सावधानी के साथ-साथ टीके की दोनों डोज लेना नितांत आवश्यक है । चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर स्टॉफ नर्स सरिता सिंह के परिवार में एक साथ कई लोग कोविड संक्रमित हो गये । सरिता ने टीके की दोनों डोज लगवा ली थी। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान शरीर में दर्द और बुखार के अलावा अन्य कोई गंभीर स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। उनका मानना है कि कोविड के टीके के कारण उनके अंदर जटिलाएं नहीं बढ़ीं और वह घर पर रहते हुए ही ठीक हो गयीं । उन्हीं के टीम के चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज मिश्र भी कोविड संक्रमित हो गये थे लेकिन कोविड के टीके के कारण उन्हें भी अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई । जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि जिले में करीब 2.50 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कोविड टीके की दोनों खुराक नहीं ली है। ऐसे लोग जहां कहीं भी हों उन्हें नजदीकी बूथ पर जाकर कोविड का टीका अवश्य लगवा लेना चाहिए। टीका लगवाने के बाद प्रमाण पत्र लेना न भूलें।