महापरिनिर्वाण दिवस पर याद किए गए महात्मा ज्योतिराव फुले, दी गई श्रद्धांजलि





देवकली। कुशवाहा महासभा के तत्वावधान में महात्मा ज्योतिराव फूले का महापरिनिर्वाण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम का शुभारंभ उनके चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित व माल्यार्पण कर किया गया। पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा ने कहा कि समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फूले का जन्म उस दौर में हुआ, जब देश में अंन्धविश्वास, भेदभाव व सामाजिक कुरीतियां चरम सीमा पर थीं। जिन्हें समाप्त करने के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया तथा समाज को नई दिशा दी। कहा कि उनके दिए गए संदेश आज भी प्रासंगिक हैं। कहा कि महात्मा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सातारा जिले में शूद्र वर्ण की माली जाति में हुआ था। उस समय के विधान के हिसाब से न शिक्षा प्राप्त करने की आजादी थी और न अपनी मर्जी का पेशा चुनने की। लेकिन वक्त बदल चुका था। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में ‘दासता उन्मूलन अधिनियम-1833’ और मैकाले द्वारा प्रस्तुत ‘मिनिट्स ऑन एजुकेशन’ (1835) लागू किये जा चुके थे। यह मनुस्मृति आधारित सामाजिक व्यवस्था को बदलने वाली एक महान पहल थी जिसमें जॉन स्टुअर्ट मिल की उल्लेखनीय भूमिका रही।



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