भक्ति की प्रतिमूर्ति थे भगवान हनुमान, उनकी भक्ति भावना से लें सीख - पंडित हरिओम
जखनियां। स्थानीय कस्बा के परसुपुर गांव स्थित हनुमान मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चल रहे अनुष्ठान के दौरान काशी के पंडित हरिओम पांडेय ने प्रवचन किया। उन्होंने हनुमान जी के शक्ति व भक्ति पर कहा कि भगवान हनुमान को अपने प्रभु श्री राम के अलावा उन्हें कुछ भी नहीं भाता था। वो अपने आराध्य भगवान श्रीराम की ही चरण वंदन करते रहते थे। कहा कि हनुमान जी ने सोने की लंका का दहन किया फिर भी उसका श्रेय भगवान राम को ही दिया। कहा कि मेरी पूंछ में किसी ने आग लगाई तो मैं प्रभु श्रीराम का ही नाम लेकर अपने को बचाने के लिए आगे बढ़ता गया। ऐसे में अहंकारी रावण का सोने का भवन जला तो मेरा क्या दोष। मैंने तो भगवान प्रभु श्री राम का नाम जपता रहा तो यह प्रभु की ही कृपा रही। मेरा कुछ भी लेना देना नहीं रहा। कहा कि आज के युवाओं को हनुमान जी की भक्ति से सीख लेने की आवश्यकता है। बताया कि प्राण प्रतिष्ठा तक प्रत्येक दिन धार्मिक कार्यक्रम आयोजन किए जाते रहेंगे। पंडित सीताराम, राजेश पंडित आदि रहे। आयोजक राजेश यादव आदि रहे।