शिक्षा सेवा अधिग्रहण विधेयक की जलाई गई प्रतियां, शिक्षकों ने विधेयक को बताया मृत्यु का आज्ञा पत्र
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के आह्वान पर सोमवार को शिक्षा सेवा अधिग्रहण विधेयक के विरोध में शिक्षकों ने विधेयक की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। शिक्षक नेता चौधरी दिनेश चंद्र राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश सेवा अधिकरण विधेयक शिक्षकों के लिए बहुत बड़ा कुठाराघात है। ये विधेयक मृत्यु का आज्ञा पत्र के समान है। अभी तक शिक्षा विभाग के किसी शिक्षक विरोधी निर्णय, आदेश के विरुद्ध अध्यापक सीधे न्यायालय में याचिका दाखिल कर न्याय प्राप्त करते थे। परंतु अब प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा, सहायता प्राप्त संस्थानों के शिक्षक एवं कर्मचारी विभागीय नियमों के विरुद्ध शिक्षा सेवा अधिकरण में वाद दाखिल करने हेतु बाध्य होंगे। अधिकरण में नियुक्त अधिकारी निर्णय देंगे, जिनसे न्याय मिलने की संभावना क्षीण है। अधिकरण के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। चेतावनी दी कि विधेयक को वापस नहीं किया गया तो शिक्षक संघ प्रदेश स्तर पर आंदोलन करेगा। शिक्षक नेता रामानुज सिंह, जिलाध्यक्ष नारायण उपाध्याय, सुरेन्द्र कुमार सिंह, राणा प्रताप सिंह ने बताया कि यह विधेयक भारत के संविधान के विरुद्ध है। विगत दिनों विधानमंडल से पारित कराए गए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक तथा इसके द्वारा गठित होने वाले अधिकार का शिक्षक संघ विरोध करता है। इस विधेयक के लागू होने से शिक्षकों व कर्मचारियों के मूल अधिकारों का हनन होगा। विधेयक के द्वारा शिक्षकों तथा कर्मचारियों को सेवा संबंधी मामलों में उच्च न्यायालय जाने पर रोक लगाई जा रही है। इस मौके पर शिवकुमार सिंह, प्रकाश चन्द्र दुबे, रियाज अहमद, संतोष पाण्डेय, आनन्द प्रकाश यादव, वीरेंद्र यादव, इंद्रासन यादव, कमलेश यादव, सत्य प्रकाश राय, रविंद्रनाथ तिवारी आदि मौजूद रहे।