अधिकारियों से सांठ-गांठ कर जालसाजों ने हड़पी मंदबुद्धि महिला की साढ़े 9 बीघा जमीन, डीएम के जांच आदेश के बावजूद अधिकारी व उपनिबंधक पर नहीं हुई कार्रवाई
कर्नलगंज। क्षेत्र की एक मंदबुद्धि महिला से धोखाधड़ी कर बैनामा कराने का मामला सामने आने पर जिले के तेजतर्रार माने जाने वाले जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही के आदेश के बावजूद अब तक घटना के आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जिसके चलते डीएम का आदेश अब तक धूल फांक रहा है और न्याय के लिए भुक्तभोगी महिला दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। मामला कर्नलगंज स्थित गंडाही गांव का है। जहां जालसाजों ने राजस्व कर्मियों और जिम्मेदार अधिकारियों से सांठ-गांठ कर मंदबुद्धि महिला से उसकी साढ़े 9 बीघा जमीन को फर्जी तरीके से बैनामा करवा लिया। पीड़िता की पुत्री संगीता ने बताया कि उसकी मां लल्ली व पिता बाबूलाल पैदाइशी मूक बधिर थे। वो अपने माता-पिता की इकलौती संतान है और उसकी शादी विरवा गांव के राम के साथ 2016 में हुई थी। बताया कि उसके पिता सत्यनारायण की 2013 में मौत के बाद उसकी मूक बधिर माँ लल्ली अपने घर गंडाही में ही रहती थी। बताया कि उसकी सारी जमीन उसके बाबा बाबूलाल के नाम पर है। संगीता ने आरोप लगाते हुए कहा कि जालसाजों ने संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत कर धोखाधड़ी से मां लल्ली से बीते 11 जनवरी को उसकी साढ़े 9 बीघा जमीन को बैनामा करा लिया। जबकि वरासत के तहत लल्ली को जमीन का मालिकाना हक 31 जनवरी को मिला। कहा कि ऐसे में सवाल ये उठता है कि वरासत होने के 20 दिन पहले ही लल्ली ने जमीन का बैनामा कैसे कर दिया और जब लल्ली मूक बधिर है तो उसका बयान कैसे दर्ज किया गया। बताया कि लल्ली वर्ष 2006 से ही सरकारी विकलांग पेंशन योजना की लाभार्थी है। इसके बाद ये मामला जब जिलाधिकारी के यहां पहुंचा तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए उक्त मामले में जालसाजी करने वाले जालसाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने व उपनिबंधक की भूमिका की जांच का आदेश दिया। इसके बावजूद अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये भी चर्चा है कि उच्चाधिकारियों को भ्रमित करते हुए जांच अधिकारी ने गलत व गुमराह पूर्ण रिपोर्ट लगाकर उपनिबंधक की भूमिका को सुरक्षित कर लिया है। जिससे अब जांच अधिकारी की जांच कार्यवाही भी सवालिया घेरे में है।