जखनियां में हुआ आरएसएस के गुरू पूर्णिमा उत्सव का आयोजन, बताई गई गुरू की महिमा
जखनियां। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर स्थित हनुमान मंदिर पर किया गया। जहां स्वयंसेवकों ने गुरुस्वरूप में भगवा ध्वज को प्रणाम करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जौनपुर के विभाग प्रचारक दीपक ने कहा कि यह पर्व आषाढ पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर पूरे एक माह तक चलता है। बताया कि गुरू पूर्णिमा पर्व मनाने की ये परंपरा ऋषि वेद जगत गुरु के जन्मदिन से मनाई जाती है। जगतगुरु के उपनिषद ने वेद पुराण की संरचना की। कहा कि गुरु ईश्वर से ऊपर है और उन्हें साक्षात भगवान भी कहते हैं कि। कहा कि गुरु के सानिध्य में रहने के बाद ही यहां आ सकते हैं। कहा कि भगवान ने भी संदीपन आश्रम में गुरुदीक्षा ली। जिसके बाद जब संदीपन ऋषि ने गुरु दक्षिणा में अपने मृत पुत्र को मांगा तो उस समय भगवान कृष्ण ने गुरु के पुत्र को जिंदा करके उन्हें गुरू दक्षिणा दी। कहा कि पहले रामराज्य में गुरुकुल की परंपरा थी तो घरों में कुंडी ताले भी नहीं लगते थे। लेकिन आज जब बड़े संस्थान खुले तो अब घरों मे ताले भी लगने शुरू हो गए। कहा कि गुरु परंपरा में शिष्य को ज्ञान समाज को जगाने के लिए दिया जाता है। अंग्रेजों ने भारत में आकर पहले हमारी गुरुकुल परंपरा को तोड़ा। कहा कि ग्रंथ भी कहते हैं कि बच्चे की पहली गुरु मां होती है। दूसरा पिता, तीसरा शिक्षक व चौथा आध्यात्मिक गुरू होता है। कहा कि वर्ष 1928 से ही आरएसएस की ये गुरू दक्षिणा की परंपरा चली आ रही है। कहा कि मानव हमेशा अपूर्ण होता है और जो पूर्ण हो जाएगा वो भगवान बन जाएगा। कहा कि गुरु बार-बार नहीं बदले जाते, गुरु के प्रति एक बार आस्था होनी चाहिए। कहा कि 1928 में भगवा ध्वज को ही गुरु के रूप में चुना गया। इसके बाद भगवा ध्वज की महिमा का वर्णन किया। इस मौके पर योगेंद्र सिंह, सह जिला कार्यवाह दुर्गा प्रसाद, विशाल, आकाश, काशू, नीलेश, सिन्टू, संतोष चौरसिया, विजय गुप्ता, डब्लू आदि रहे।