विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के बाबत हुई डीटीएफ की बैठक, 13 विभाग के अधिकारियों को खास निर्देश





गोरखपुर। आगामी 1 से 31 जुलाई तक प्रस्तावित विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के संबंध में मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीना की अध्यक्षता में ड्रिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स (डीटीएफ) की बैठक विकास भवन सभागार में सोमवार को हुई। बैठक के दौरान इंसेफेलाइटिस, मलेरिया, डायरिया आदि संचारी रोगों के नियंत्रण के प्रयासों के साथ साथ डेंगू से बचाव के उपायों के बारे में समुदाय तक संदेश पहुंचाने के बारे में भी खासतौर से चर्चा हुई। मुख्य विकास अधिकारी ने सभी 13 विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह आपसी समन्वय बना कर संचारी रोग नियंत्रण की गतिविधियों को सम्पन्न करें। बैठक में पंचायती राज विभाग, नगर निकाय विभाग, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, खाद्य व औषधि प्रशासन, कृषि विभाग, मत्स्य विभाग समेत सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों और प्रतिनिधिगण ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान निर्देश दिया कि माइक्रोप्लानिंग इस प्रकार से हो कि किसी भी क्षेत्र में सभी विभागों की गतिविधियों के दिनों में अधिक अंतराल न हो, ताकि मॉनीटरिंग के दौरान जिले का सूचकांक बेहतर बना रहे। पंचायती राज विभाग 13 हाई रिस्क विलेज के साथ साथ उन 98 गांवों में भी जोर देकर झाड़ियों की कटाई कराए, जहां से स्क्रबटाइफस के केस रिपोर्ट हुए हैं। इन गांवों में मत्स्य विभाग की मदद से गम्बुजिया मछली डाले जाएं। एंटी लार्वा का छिड़काव हर हफ्ते कराया जाए। सभी डिपार्टमेंट के लोग समुदाय को प्रेरित करें कि वह खुले में शौच न करें। साफ और ठहरे हुए पानी को तुरंत हटाया जाए। सुअरबाड़ों की साफ सफाई के साथ उनको शत प्रतिशत जाली से ढंकवाया जाए। सभी विभाग ऑनलाइन डैशबोर्ड की मदद से प्रतिदिन समीक्षा करें और जहां कहीं भी गैप दिखे, उसे तुरंत दूर करें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि अभियान में चिकित्सा विभाग, आईसीडीएस, ग्राम्य विकास व पंचायती राज, शिक्षा, नगर निगम व शहरी विकास, कृषि, पशुपालन, दिव्यांग कल्याण, स्वच्छ भारत मिशन, सूचना, चिकित्सा शिक्षा, जल निगम और खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग मिल कर कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को इस माह के दौरान खुले में बिकने वाले दूषित खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण और लोगों को ऐसी चीजें न खाने के लिए जागरूक करना है। यह विभाग पहली बार इस अभियान से जोड़ा गया है। इस बार विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान पूरे माह स्टॉप डायरिया कैंपेन भी चलाया जाएगा, जिसमें लोगों को डायरिया के बारे में जागरूक किया जाएगा। साथ ही पांच साल से छोटे बच्चों के लिए घर-घर ओआरएस और जिंक की गोलियां वितरित की जाएंगी। सरकारी अस्पतालों और आईसीडीएस से जुड़े आंगनबाड़ी केंद्रों पर ओआरएस कार्नर बनाए जाएंगे। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर हाथों की स्वच्छता के बारे में विशेष तौर पर जानकारी दी जाएगी। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि समाज तक जागरूकता का संदेश पहुंचाने में शिक्षा विभाग की अहम भूमिका है। स्कूलों में बच्चों को साफ सफाई और बीमारी नियंत्रण के जो संदेश दिये जाते हैं वह घर-घर पहुंचाते हैं। नोडल शिक्षकों के प्रयासों से इंसेफेलाइटिस के मामलों में काफी नियंत्रण हुआ है और इस साल जेई और एईएस के कारण कोई मृत्यु नहीं हुई है। सभी विभागों के समन्वित प्रयासों से इस बार भी बेहतर कार्य होगा। अभियान में स्वास्थ्य विभाग के सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे व पूरी टीम, फाइलेरिया विभाग, जेईएईएस कंसल्टेंट सिद्धेश्वरी सिंह के अलावा डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और पाथ संस्थाओं के प्रतिनिधि भी सहयोग करेंगे। मंडलीय कीटविज्ञानी डॉ वीके श्रीवास्तव ने उपस्थित अधिकारियों को डेंगू से बचाव की जानकारी दी। सभी लोगों को बताया गया कि डेंगू का मच्छर साफ और छोटे जलस्रोतों में पनपता है। इसलिए कूलर, फ्रीज ट्रे, पशु पक्षी का पात्र, नारियल की खोल, टॉयर, घर की छतों पर पड़े गमले, कबाड़ आदि में साफ पानी के जमाव को रोकना है। साथ ही अगर बुखार हो तो प्रशिक्षित चिकित्सक से ही इलाज कराएं। डेंगू के पीक सीजन में किसी को भी एस्प्रिन व डिस्प्रिन समूह की दवाएं नहीं खानी है। डेंगू एक साधारण बुखार है जो लापरवाही या गलत दवा के सेवन से ही घातक रूप लेता है और जटिलताएं बढ़ जाती हैं।



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