मन की एकाग्रता से सुगम बन सकता है जीवन, अपने लिए समय न निकाल पाना है बीमारी की सबसे बड़ी वजह - डॉ. मोनिका
जयपुर। आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में अधिकांश लोगों को अपने लिए ही वक्त नहीं मिल पाता। जिसके चलते आजकल हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा है। लोगों का अपने लिए जरा भी समय न निकाल पाना ही उनके लिए परेशानी का सबब भी बनता जा रहा है। आमजन की इन्हीं परेशानियों के मद्देनजर डॉ. मोनिका रघुवंशी ने मन की एकाग्रता को लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास करना शुरू किया है। उन्होंने बताया कि मानसिक एकाग्रता यानी ध्यान लगाना हमारी मानसिक मांसपेशियों के व्यायाम का ही एक तरीका है। ये कई प्रकार के होते हैं, लेकिन उन सभी में एक ही उद्देश्य होता है और वो है मन को शांत करते हुए विचारों और भावनाओं का अवलोकन करना और अपना ध्यान किसी एक वस्तु पर केंद्रित करना। कहा कि मूल अभ्यास में सीधी पीठ करते हुए बैठना और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल है। इसे कोई भी कर सकता है और इसमें केवल एक सत्र के बाद ही अंतर महसूस होने लगता है। कहा कि इसे करते हुए हमें अपना ध्यान अपनी नाक से अंदर और बाहर जाने वाली हवा पर केंद्रित करना है, ताकि मस्तिष्क में विचारों के आवागमन की गति को कम करते हुए रोका जा सके। कहा कि 1988 के ओलंपिक में तीरंदाजी की स्वर्ण पदक की विजेता दक्षिण कोरिया की महज 17 साल की थी। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने तैयारी कैसे की तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके प्रशिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हर दिन दो घंटे मेडिटेशन यानी ध्यान केंद्रीकरण करना था। ये केंद्रीकरण हमारे स्मार्टफ़ोन और उनकी सूचनाओं के संसाधन के लिए एक उत्कृष्ट मारक है। कहा कि ये लोगों द्वारा की जाने वाली सबसे आम गलतियों में से एक है। कहा कि ध्यान लगाने का अर्थ पूर्ण मानसिक मौन या निर्वाण तक पहुँचना है। वास्तव में ध्यान के अभ्यास में हम जो चीजें सीखते हैं, उनमें से एक यह है कि हमारी मानसिक स्क्रीन यानी दिगाम में आने वाली किसी भी चीज़ के बारे में चिंता न करें। बताया कि ध्यान से मस्तिष्क में अल्फा और थीटा तरंगें उत्पन्न होती हैं। इसके अनुभवी लोगों के लिए ये तरंगें तुरंत स्पष्ट हो जाती हैं तो शुरुआत करने वाले को इनका अनुभव करने में आधे घंटे तक का समय लग सकता है। बताया कि ये आरामदायक मस्तिष्क तरंगें हैं, जो हमारे सोने से ठीक पहले सक्रिय होती हैं या जब हम धूप में लेटते हैं या गर्म स्नान करने के ठीक बाद ये सक्रिय होती हैं।