गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, पितरों को तारने को की पूजा
खानपुर। गंगा दशहरा पर शुभ मुहूर्त में गुरुवार को तड़के बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर दान पुण्य व पूजा-पाठ किया। गंगा घाट पर मां गंगा के अवतरण दिवस पर लोग मां गंगा की आरती पूजन कर गरीबों और ब्राह्मणों में सत्तू, पंखा, मिट्टी का मटका और अन्न दान करते दिखे। अधिकांश श्रद्धालु अपने घरों में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान के शिवालयों में शिव पार्वती सहित मां गंगा का आरती पूजन किया। गंगा दशहरा के दिन गंगा माता का पूजन, पितरों को तारने तथा पुत्र, पौत्र व मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना गया है। भगीरथ के एक पैर पर खड़े होकर भगवान शंकर की आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगाजी को अपनी जटाओं में रोक लिया और एक छोटी धारा को पृथ्वी की ओर छोड़ दिया। इस प्रकार गंगाजी पृथ्वी की ओर चलीं तो आगे-आगे राजा भगीरथ और पीछे पीछे गंगाजी चलीं। कुछ दूर जाने पर भगीरथ ने पीछे मुड़कर गंगाजी को न देख वे ऋषि के आश्रम पर आकर उनकी वंदना करने लगे। प्रसन्न हो ऋषि ने अपनी पुत्री बनाकर गंगाजी को दाहिने कान से निकाल दिया इसलिये देवी गंगा जाह्नवी नाम से भी जानी जाती हैं।