............जब स्वामी विवेकानंद ने बाजार से सड़ाने के लिए खरीदा था लाल कश्मीरी सेब, जानें घटनावृत्त -





सैदपुर। युवा दिवस के मौके पर हिंदु युवा वाहिनी द्वारा बुधवार को नगर बूढ़ेनाथ महादेव मंदिर परिसर में कार्यक्रम किया गया। इस दौरान वाहिनी के सदस्यों ने भारत माता व स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया। अंबरीश सिंह ने स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि स्वामी जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया। कहा कि उन्होंने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करने का एक किस्सा भी बताया था। हुआ ये था कि एक बार स्वामी जी बाजार गए। वहां खूब लाल-लाल कश्मीरी सेब बिक रहे थे। स्वामी जी को इच्छा हो गई तो उन्होंने एक सेब खरीद लिया और घर आकर उस सेब को ऐसे स्थान पर रख दिया कि आते-जाते दिन में बार-बार उस पर नजर पड़े। आखिरकार कुछ दिनों बाद सेब रखे-रखे सड़ गया तो उन्होंने उसे उठाकर फेंक दिया। एक शिष्य के पूछने पर कहा कि अगर एक सेब मेरी ऐच्छिक इंद्रियों पर भारी पड़ जाए तो फिर मेरी इच्छाशक्ति का क्या अर्थ है। कहा कि उस सेब को मैं दिन हर में जब भी देखता था तो खुद से यही कहता था कि क्या मेरी जीभ की शक्ति मेरी इच्छाशक्ति से अधिक है? इसीलिए मैंने उसे नहीं खाया। जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाईं। अंबरीश ने कहा कि हमें स्वामी जी की इन बातों से सीख लेनी चाहिए।



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