‘सत्य के लिए धन व तन के त्याग में नहीं करना चाहिए संकोच, इसी त्याग ने श्रीराम को बनाया था पुरूषोत्तम’





खानपुर। क्षेत्र के नेवादा में चल रहे पांच दिवसीय भागवत महासत्संग ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन सत्य और सत्कर्म पर कथा कही गयी। अयोध्या से आये कथा वाचक पंकज महाराज ने कहा कि यदि सत्य के लिए धन और तन का त्याग करना भी पड़े तो संकोच नहीं करना चाहिए। राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य के लिए नश्वर धन और सत्ता का त्याग करके युगों युगों तक यश और कीर्ति को अपने नाम के साथ जोड़ लिया। वहीं प्रभु श्रीराम सत्कर्म के लिए सत्ता सुख त्यागकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम बन गए। कहा कि सत्कर्म व्यक्ति को कभी भी सत्य के मार्ग से भटकने नही देती। सत्कर्म से संस्कार और संस्कृति दोनों की रक्षा होती है। सत्कर्मी लोग कभी भी क्रोध, मोह और ईर्ष्या के जाल में नही फंसते हैं। इस दौरान आयोजक वरिष्ठ भाजपा नेता राजेश्वर सिंह ने आगंतुकों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि सत्संग में ज्यादातर बुजुर्ग लोग ही शामिल होते है जबकि सत्संग की असली जरूरत आज के समय में भटक रही युवा पीढ़ी को है।



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