अपने शरणागत की रक्षा करते हैं भगवान, प्रारब्ध के अनुसार जीव को मोक्ष देते हैं ईश्वर - राजन महाराज





गाजीपुर। ‘राम नाम का सम्पुट लगाकर जब शंकर ने विष पान किया तो उसी राम नाम के प्रभाव से भगवान शिव के कंठ तक जाकर वह विष विश्राम में परिवर्तित हो गया और तब देवाधिदेव महादेव नीलकंठ स्वरूप लेकर परम शांति के साथ गहरी समाधि में समाधिष्ठ हो गये। यह इस बात का साक्षी है कि प्रभु जिसे पकड़ लेते हैं उसे इस अखिल ब्रह्माण्ड में कोई गिरा नहीं सकता क्योंकि भगवान की शरणागति प्राप्त होते ही वे त्वरित अपने भक्त की रक्षा करते हैं।’ उक्त बातें नगर के लंका मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आखिरी दिन राज्याभिषेक कथा प्रसंग के दौरान भगवान श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता, बालि वध एवं अंगद की शरणागति पर कथा करते हुए कथा सम्राट राजन महाराज ने कहीं। कहा कि प्रभु राम का जीवन समदर्शी है क्योंकि उनका सम्पूर्ण जीवन चरित्र यह बताता है कि वे शत्रु और मित्र सबके साथ समान्य व्यवहार करते थे। उन्होंने जिसका भी वध किया वह किसी प्रतिशोध के वशीभूत होकर नहीं किया क्योंकि प्रभु राम तो स्वयं साक्षात नारायण के स्वरूप थे। यह तो उनकी लीला मात्र थी और वे जीव के प्रारब्ध के अनुसार सबको मारने के बहाने मोक्ष प्रदान कर रहे थे। इस दौरान पूर्व राज्यमंत्री विजय मिश्र व नगरपालिका अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने राजन महाराज का माल्यार्पण किया। इसके बाद आचार्य भागवत तिवारी एवं आशीष वर्मा द्वारा व्यासपीठ, पवित्र रामचरितमानस एवं कथा मंडप की आरती करते हुए पवित्र सुंदर कांड पाठ के साथ नौ दिवसीय कथा को विश्राम दिया गया। इस मौके पर आलोक सिंह, सुधीर श्रीवास्तव, शशिकांत वर्मा, संजीव त्रिपाठी, राकेश जायसवाल, आकाशमणि त्रिपाठी, दुर्गेश श्रीवास्तव, आशीष वर्मा, मंजीत चौरसिया, अनिल वर्मा, अमित वर्मा, सुजीत तिवारी, राघवेंद्र यादव, कमलेश वर्मा, पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय आदि रहे।



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