सिधौना : उत्पादन से तीन गुना अधिक हो रही दुग्ध उत्पादों की खपत, क्षेत्र में नकली दूध व नकली पनीर पर कैसे लगेगी लगाम


सिधौना। मिलावटी दूध व पनीर का कारोबार इन दिनों क्षेत्र में तेजी से फल फूल रहा है। क्षेत्र में दूध का उत्पादन खपत से काफी कम है जिसके कारण मिलावट करके इसे पूरा किया जा रहा है। पूरे सैदपुर क्षेत्र में सिंथेटिक दूध बनाने के लिए दूध पाउडर, रिफाइंड और अन्य हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। मिलावटी दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है जिससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। किसानों और पशु पालकों के पास घटते पशुधन और सिमटते दूध उत्पादन के बीच सिधौना बाजार में प्रतिदिन सैकड़ों किलो खोया, छेना और पनीर बेचा जाता है। प्रतिदिन बिहारीगंज, सैदपुर और उचौरी से हजारों लीटर दूध वाराणसी के मंडी में बिकने के लिए जाते है। इसके अतिरिक्त नियमित दुग्ध व्यवसायी पशु पालकों के घरों से दूध संकलित कर बनास डेयरी तक पहुंचाते हैं। इसके बाद भी ग्रामीण इलाकों के हर घर में दूध खरीदा जाता है। गंगा गोमती के तराई इलाकों के चारा क्षेत्र और पशु पालन विभाग के आंकड़ों को देखा जाए तो इतना दूध उत्पादन करने के लिए पशु धन ही नहीं है। हर गांव में गिने चुने लोगों के पास ही दुधारू पशु मौजूद है। इसके बावजूद प्रतिदिन सिधौना और खानपुर में करीब 200 से 300 किलो छेना व पनीर बेचा जाता है। इसके अलावा यहां के दूध कारखानों से सैकड़ों किलो छेना, पनीर और दूध, दही बेचा जाता है। दूध की उपलब्धता कम होने के बाद भी खपत दोगुना से अधिक होने का मतलब है कि यह मिलावट करके पूरा किया जा रहा है। मिलावटी और नकली सिंथेटिक दूध बाजार से लेकर घरों तक पहुंच रहा है। डेयरी संचालक यह दूध जनपद के बाहर सप्लाई कराते हैं। आम जनता के साथ दूध के खरीदार मिठाई, बिक्री करने वाली डेयरी, पनीर, दही आदि में भी जाता है। गर्मी के दिनों में तो लस्सी, दही में इसकी खपत और बढ़ जाती है। ऐसे दुग्ध कारोबारी दूध पाउडर को पानी में घोल देते है। स्किम्ड मिल्क होने के कारण पाउडर से तैयार दूध में फैट नहीं होता। ऐसे में फैट लाने के लिए रिफाइंड मिलाते हैं तो मिठास के लिए ग्लूकोज मिला देते है। रिफाइंड पानी में घुल जाए इसके लिए घोल में कई बार तो डिटरजेंट व शैम्पू भी मिलाते हैं। इस तरह के दूधिया इसे शुद्व दूध में मिलाकर एक जैसा कर देते हैं।