तो इस वजह से सिर्फ छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रही चमकी बुखार, लीची दुकानदार भी हैं निराश



विंध्येश्वरी सिंह की विशेष रिपोर्ट



खानपुर। बिहार में तेजी से फैले चमकी बुखार ने क्षेत्र में लीची की बिक्री चौपट कर दी है। इसका असर क्षेत्र के खानपुर, अनौनी, सिधौना, बिहारीगंज, मौधा समेत पूरे क्षेत्र के लीची व्यवसाय पर पड़ा है। जिसके चलते लीची विक्रेताओं में निराशा का माहौल है। सिधौना के लीची दुकानदार मनोज सोनकर ने कहा कि वैसे भी लीचियों का मौसम सिर्फ 20 से 25 दिनों का ही होता है। ऐसे में मुजफ्फरपुर की लीची से फैली खतरनाक चमकी बुखार के कारण एकाएक लीचियों की बिक्री में भारी गिरावट आ गयी है और अब अधिकांश दुकानदार लीची छोड़ दूसरे फल बेचने को विवश हैं। वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सक अवनीश यादव ने बताया कि यह बीमारी एईएस यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम नामक एक जहरीले तत्व की वजह से फैली है जो प्रमुख रूप से लीची में पाई जाती है। बताया कि ये बीमारी सबसे पहले उन्हें अपना शिकार बनाती है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और ये समस्या छोटे बच्चों या कुपोषित बच्चों में पाई जाती है जिसके चलते ये बच्चे तुरंत चपेट में आ जाते हैं। बताया कि जो बच्चे पौष्टिक आहार नहीं ले रहे हैं या जिन्हें पेट भर खाना नहीं मिल पाता है उनके लिए कुछ लीचियों में मौजूद ये खतरनाक वायरस जानलेवा साबित हो रहा है। इसकी चपेट में आने के बाद बच्चों को हाइपोग्लाइसीमिया हो जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि लीची में मीथाइलीन साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसिन नाम तत्व पाया जाता है जो शरीर में शुगर लेवल कम होने पर सीधे दिमाग पर असर डालता है। शुगर लेवल में कमी भूखे रहने या फिर पौष्टिक आहार ना मिलने की वजह से भी आ सकती है। बिहारीगंज के पिंटू यादव ने कहा कि लीची गर्मियों का एक लाभदायक रसीला फल है। ऐसे में जो लीची केमिकल रंगों से मुक्त हो उसे खाने में कोई दिक्कत नहीं है। वहीं लीची उगाने वाले खानपुर के सुजीत त्रिपाठी कहते है कि पेड़ में लीची के फल लगते ही चींटियां और कीड़े लगने शुरू हो जाते हैं। जिन्हें रोकने के लिए इस्तेमाल किये गए कीटनाशक बाद में हानिकारक साबित होते हैं। कहा कि इस दौरान कीटनाशकों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कहा कि हरे लीचियों को जबरदस्ती लाल करने के लिए लाल सिंथेटिक स्प्रे कलर का इस्तेमाल करना भी खतरनाक साबित होता है।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< चार दिवसीय पाठशाला में किसानों को सिखाए खेती की नई तकनीक के गुर
20 साल बाद घर लौटा परिवार सड़क पर रहने को विवश, मकान पर दबंग ने किया अवैध कब्जा >>