धूमधाम से मनी देवशयनी एकादशी, पूजे गए श्रीहरि





खानपुर। क्षेत्र के देवालयों और गोमती तट के पर्णकुटी पर देवशयनी एकादशी की पूजा बेहद धूमधाम से सम्पन्न हुई। इस दौरान ज्योतिषाचार्य विनोद पांडेय ने बताया कि इन चार माह में बादल और वर्षा के कारण सूर्य-चन्द्रमा का तेज क्षीण हो जाना हरि के शयन का ही द्योतक होता है। इस समय में पित्त स्वरूप अग्नि की गति शांत हो जाने के कारण शरीरगत शक्ति क्षीण या सो जाती है। आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने भी खोजा है कि कि चातुर्मास्य में विविध प्रकार के कीटाणु अर्थात सूक्ष्म रोग जंतु उत्पन्न हो जाते हैं। जल की बहुलता और सूर्य-तेज का भूमि पर अति अल्प प्राप्त होना ही इनका कारण है। कहा कि इस एकादशी को सौभाग्यदायिनी एकादशी भी कहा जाता है। गौरी स्थित पर्णकुटी के महंत अरुणदास महाराज ने कहा कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाता है और चार महीने के लिए सभी सोलह संस्कार रुक जाते हैं। हालांकि पूजन, अनुष्ठान, मरम्मत करवाए गए घर में गृह प्रवेश, वाहन व आभूषण आदि की खरीद जैसे काम किए जा सकते है। कहा कि एकादशी के दिन से आरम्भ करके प्रभु हरि चार मास तक क्षीर समुद्र में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं।



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