वन मैन आर्मी अंकुर सिंह, जिन्होंने अकेले दम पर लिया है जल संरक्षण का जिम्मा, कई पोखरियों व तालाबों को दे चुके हैं जीवनदान



विश्व पर्यावरण दिवस पर अमित सहाय की खास रिपोर्ट



बहरियाबाद। धरती पर हर चीज का विकल्प है लेकिन पानी और हवा या यूं कहें कि पानी और ऑक्सीजन का कोई विकल्प नहीं है। शरीर को अगर मूल रूप में पानी और ऑक्सीजन न मिले तो शरीर तो दूर की बात है, धरती का भी आस्तित्व नहीं बचेगा। ऐसे में अगर समय से पानी की इस महत्ता को अगर समझ लिया जाए तो जल संकट पर जीत नामुमकिन नहीं है। पानी बचाने की पहल किस तरह सुखद नतीजे दे सकते हैं इसका साक्षात उदाहरण मिलता है सादात ब्लाक के इब्राहिमपुर गांव में। यहां के युवा ग्राम प्रधान अंकुर सिंह ने जल संरक्षण की दिशा में एक मिसाल कायम की है। उन्होंने जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित कर गांव के अस्तित्वहीन हो चुके कुछ अति प्राचीन व ऐतिहासिक तालाबों को न सिर्फ अतिक्रमण से खाली कराया बल्कि उसका जीर्णोद्धार कर सुंदरीकरण भी कराया। भीटे पर चारों तरफ से संपर्क मार्ग बनाकर उस को नया रूप देने का भी कार्य किया। गांव के अन्य बदहाल पड़े पुराने जलाशयों की भी साफ सफाई कराने के साथ जीर्णोद्धार का कार्य भी तीव्र गति से संचालित कराया। गांव से शारदा सहायक खंड 23 की शाखा गुजरती है। ग्राम प्रधान के अथक प्रयास के बाद अवशेष नहर की खुदाई बीते दिनों पूर्ण हुई। किसानों को पानी की समस्या से निजात मिली। नहर में पानी आने से परंपरागत जल संरक्षण का रखरखाव कर उन्होंने एक नजीर पेश की है। यही वजह है कि आज इब्राहिमपुर ग्राम पंचायत एक आदर्श ग्राम पंचायत का रूप ले रही है। ग्राम प्रधान अंकुर सिंह के प्रयास का ही प्रतिफल रहा कि उन्हें व इब्राहिमपुर ग्राम पंचायत को प्रदेश स्तर पर कई पुरस्कार भी मिले हैं। पानी के आगामी संकट को देखते हुए ग्राम प्रधान ने परंपरागत जल स्त्रोतों के संरक्षण का बीड़ा उठाया है। आठ बीघा क्षेत्रफल में फैले ऐतिहासिक ब्रह्म बाबा के तालाब पर जो बरसों से अतिक्रमण व बदहाली का शिकार था, जिसमें कभी अथाह जलराशि हुआ करती थी। गांव के लोग तालाब के पानी से सिंचाई तथा अन्य नित्य क्रिया कर्म में उपयोग करते थे। वही बने ब्रह्म बाबा स्थान पर पूजन का कार्य भी करते थे। बाद में तालाब पर अवैध कब्जे शुरू हो गए। जिससे यह बदहाली की गर्त में चला गया। ग्राम पंचायत के कई ऐसे अन्य तालाबों का भी यही हाल था। ग्राम प्रधान ने अतिक्रमण किये लोगों के साथ बिना सरकारी संसाधन व प्रशासनिक सहयोग के सहानुभूतिपूर्वक बैठक कर अतिक्रमण हटाने व खुदाई के लिए राजी किया। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत विलुप्त हो चुके तालाबों को जिंदा किया। घाटों के सुंदरीकरण और भीटे पर पौधरोपण के लिए उन्हें ग्राम पंचायत के योजना में शामिल करते हुए शासन को पत्र भी लिखा है। वर्तमान में काफी प्राचीन दसमलही पोखरी को भी पुनर्जीवित करने का प्रयास चल रहा है। ग्राम प्रधान अंकुर सिंह से पूछने पर उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति तथा पानी बचाने के इस सोच को साझा किया। उनका कहना है कि बारिश की एक बूंद भी बेकार ना जाए, उसके लिए हम अपने जल संचयन के स्त्रोतों को बचाकर बारिश से भूगर्भ जलस्तर को रिचार्ज कर सकते हैं। आज पानी बचेगा तभी हमारा भविष्य बचेगा, इसी सोच के साथ हम अपने ग्राम पंचायत में जल संचयन केंद्रों को पुनर्जीवित करने का काम कर रहे हैं।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< तेजी से गर्म हो रही धरती को ठंडा करने के लिए दोगुनी गति से रोपें पौधे, युवाओं के कंधों पर टिका है धरती का भविष्य
विश्व पर्यावरण दिवस पर संस्था की ऑनलाइन गोष्ठी में जुटे दुनियाभर से पर्यावरणविद, व्यक्तिगत सहयोग से लिए कई अहम निर्णय >>