एक तरफ डे जीरो के कगार पर भारत के कई शहर तो दूसरी तरफ सैदपुर का तहसील मुख्यालय बर्बाद कर रहा रोजाना हजारों लीटर पेयजल





सैदपुर। एक तरफ भारत के कई शहर डे जीरो की तरफ बढ़ रहे हैं यानी वहां पर पेयजल के खत्म होने का दिन सरकार द्वारा निर्धारित कर दिया गया है तो दूसरी तरफ सैदपुर के सरकारी कार्यालयों में पेयजल की भारी बर्बादी की जा रही है। ऐसी ही स्थिति बीते कई माह से नगर स्थित तहसील मुख्यालय में देखी जा रही है। जहां पर कर्मचारियों की लापरवाही के चलते रोजाना सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों लीटर पेयजल बर्बाद होकर नालियों में बह जाता है। इस बाबत जब तहसील में पता किया तो बताया गया कि इसकी जिम्मेदारी नाजिर शकील अहमद को दी गई है। उनके पास पहुंचने पर उन्होंने कहा कि ये पानी ओवरफ्लो होकर गिर रहा है। पंप को बंद किया जा चुका है और वो जमा हुआ पानी गिर रहा है जबकि उसके आधे घंटे पूर्व से पानी लगातार गिर रहा था और उनके कहने के बावजूद घंटों तक पानी गिरता ही रहा। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर वहीं के एक कर्मी ने बताया कि ये पानी कभी बंद ही नहीं होता है, जब नाजिर से कहा जाता है तो वो हीला हवाली कर जाते हैं। जबकि सरकार पानी की बचत को लेकर इस कदर जागरूक है कि वो हर सरकारी भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाते हैं ताकि बारिश के पानी को जुटाया जा सके। लेकिन यहां तो सरकारी भवन के माध्यम से ही रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। बहरहाल ये स्थिति तक है जब देश के कई शहर डे जीरो के कगार पर हैं। बीते दिनों बुंदेलखंड, लातूर समेत महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश के शिमला, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि स्थानों से कई ऐसी भयावह तस्वीरों को पूरी दुनिया ने देखा था। बुंदेलखंड और लातूर की स्थिति तो और ज्यादा विकट है। बीते दिनों ऐसा भी देखने मिला था जब बुंदेलखंड में जलसंकट का मुद्दा पूरे देश का मुख्य मुद्दा बन गया था और वहां ट्रेनों से पानी भेजा गया था।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< मेन पाइप फटने से फिर बाधित हुई पेयजल आपूर्ति
बसपा प्रत्याशी की जीत के लिए मैदान में उतरी उनकी बेटी, रीना पासी संग किया जनसंपर्क >>