विकास बनाम जातिवाद में बदला गाजीपुर लोस का चुनाव, जातीय राजनीति के बावजूद पैठ बनाने वाले मनोज सिन्हा की दांव पर लगी है साख



अमित सहाय की खास चुनावी रिपोर्ट



बहरियाबाद। जिला मुख्यालय से पश्चिमोत्तर में आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के सीमा पर स्थित क्षेत्र के दर्जनों गांवो में गाजीपुर लोकसभा चुनाव सहित छठवें चरण में हो रहे आजमगढ़ संसदीय चुनाव की भी चर्चा जोरो पर है। पारा चढ़ने के बावजूद पूरे दिन सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपने-अपने वोट बैंक को साधने में पूरी ताकत झोंक दिए हैं। दिन-रात गांव-गली, चट्टी-चौराहों पर बैठकों व नुक्कड़ सभाओं का दौर जारी है। वैसे तो गाजीपुर लोकसभा सीट से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। जिनके भाग्य का फैसला 19 मई को जनपद के लगभग साढ़े 18 लाख मतदाता करेंगे। इन प्रमुख प्रत्याशियों में भाजपा से वर्तमान सांसद व जनपद में जातीय राजनीति होने के बावजूद मतदाताओं अपनी गहरी पैठ बना चुके मनोज सिन्हा, महागठबंधन के प्रत्याशी और वर्तमान सांसद को पूर्व में पटखनी देकर सांसद बनने वाले पूर्व सांसद अफजाल अंसारी, कांग्रेस से अजीत प्रताप कुशवाहा, भाकपा से भानुप्रताप पाण्डेय, भाकपा माले से ईश्वरीय प्रसाद कुशवाहा, प्रसपा से संतोष यादव सहित कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे है। लेकिन चर्चा के अनुसार मुख्य मुकाबला विकास बनाम जातिवाद के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है और इस बात को न सिर्फ वोटर बल्कि खुद भाजपा व गठबंधन के कद्दावर नेता भी स्वीकार कर रहे हैं। गठबंधन नेता तो साफ तौर पर अपने जातिगत आंकड़ों को गिनाते हुए कहते नजर आ रहे हैं कि इस आधार पर भाजपा का दोबारा आना संभव नहीं है। वहीं भाजपा उम्मीदवार को अपने विकास कार्यों के बल पर दोबारा जीतकर संसद में जाना और विरासत को बचाना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा अब महागठबंधन प्रत्याशी को किसी भी सूरत में निवर्तमान सांसद द्वारा पटखनी देना प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है। हालांकि प्रसपा प्रत्याशी संतोष यादव व कांग्रेस प्रत्याशी मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। पर इस क्षेत्र के मतदाताओं पर अभी तक वे अपना प्रभाव छोड़ने में सफल होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। जातिगत वोटों के लामबंद होने से चुनाव काफी रोचक एवं दिलचस्प के साथ सीधी टक्कर में तब्दील होता दिखाई दे रहा है। हालांकि प्रसपा प्रत्याशी के जनपद में एकमात्र यादव कुनबे का उम्मीदवार होने से उन्हें स्वजातीय वोटों में घुसपैठ की पूरी उम्मीद है। वहीं उनके मतदाताओं को प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव के आने का इंतजार है। पिछले दिनों भाजपा में आये सादात के पूर्व ब्लाक प्रमुख एवं गाजीपुर सदर विधान सभा के बसपा प्रत्याशी रहे संतोष यादव तथा स्थानीय निवासी व प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के निदेशक भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कुमार यादव द्वारा स्वजातीय मतों का विभाजन कर उसे भाजपा में जोड़ने के लिए ताबड़तोड़ बैठक की जा रही हैं। हालांकि भाजपा की रणनीति को यादव मतदाता खुलेआम यादव वोटों को काटने की एक सोची समझी साजिश बता रहे हैं। उधर भाजपा में भी अंदरखाने में सब कुछ ठीक दिखाईं नहीं दे रहा है। कुल मिलाकर दोनो तरफ से बड़े नेताओं के कार्यक्रम के बाद ही तस्वीर कुछ साफ हो सकेगी। फिलहाल ये चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है कहना मुश्किल है।



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