मजदूर दिवस विशेष : जान जोखिम में और सड़कों पर दूसरों का मनोरंजन कर रही नन्हीं जानें



आकाश बरनवाल



सैदपुर। एक तरफ जहां आज पूरा विश्व मजदूर दिवस मना रहा है वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे परिवारों के छोटे छोटे बच्चे जान जोखिम में डालकर महज कुछ सिक्कों की खनक सुनने के लिए सड़कों पर करतब दिखाकर न सिर्फ इस दिवस के मंतव्य को पूरी तरह से बदल दे रहे हैं बल्कि करतब दिखा रहे छोटे छोटे बच्चे सरकार के उन मंसूबों पर भी पानी फेरते नजर आ रहे हैं जो बच्चों के लिए शुरू की गई हैं। विश्व श्रमिक दिवस अथवा विश्व मजदूर दिवस पर ऐसा ही एक वाकया सैदपुर में देखने को मिला जब एक बंजारन महिला अपने 4 छोटे छोटे बच्चों को लेकर सड़क पर करतब दिखा रही थी। उन बच्चों में 3 की उम्र 2 से 4 वर्ष की थी तो एक बच्ची उनसे थोड़ी बड़ी करीब 6 वर्ष की दिख रही थी और बड़े होने के नाते सबसे ज्यादा और खतरनाक करतबों की जिम्मेदारी भी उसी के कंधों पर थी। करतब दिखाते हुए वो करीब 3 वर्ष की बच्ची लोहे के एक छोटे से रिंग से होकर अपने शरीर को गुजार रही थी तो बड़ी बच्ची कथित धनी लोगों का मनोरंजन करने के लिए जान जोखिम में डालकर सड़क से कई फीट की ऊंचाई पर एक पतली सी रस्सी पर चल रही थी। बच्चों के इन करतबों पर लोग तालिया ंतो खूब बजा रहे थे लेकिन उन तालियों के शोर में उन मासूम बच्चों का बचपन और उनकी मासूमियत दम तोड़े दे रही थी। करतब खत्म होने के बाद जब उन बच्चों की मां से आज के दिन के बारे में पूछा गया तो उसने टका से जवाब दिया ‘ये का होत है, हमैं तो नाय पता।’ नाम पूछने पर उसने नाम बताने से साफ इंकार कर दिया। जब बताया गया कि आज मजदूर दिवस है तो उसने कहा कि उसे इन सब दिनों से कोई मतलब नहीं। अगर वो मजदूर दिवस मनाएगी तो बच्चों को तो भूखा रहना होगा न। पढ़ाई के लिए पूछने पर कहा कि वो स्कूल नहीं जाते हैं। बहरहाल जिस उम्र में बच्चों को अपने हमउम्र बच्चों संग खेलकर अपना मनोरंजन करना चाहिए उस उम्र में वो सड़कों पर अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों का मनोरंजन कर परिवार का पेट पाल रहे हैं। ये न सिर्फ आमजन के लिए बल्कि सरकार के लिए भी दुर्भाग्य की बात है और उनके मुंह पर करारा तमाचा है।



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